राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि 21वीं सदी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में भी शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। सोमालवर एजुकेशन सोसाइटी के 70वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान पीढ़ी प्रौद्योगिकी के कारण बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त कर रही है, लेकिन शिक्षक जीवन को बदल सकते हैं।
भागवत ने कहा, "देखना और निरीक्षण करना सीखना है। हम पढ़ने और सुनने के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं....आपके पास मौजूद जानकारी का उपयोग कैसे करना है, यह देखने और निरीक्षण करने से सीखा जाता है।"
उन्होंने कहा, "शिक्षकों के पास जीवन को बदलने की शक्ति है.....प्रौद्योगिकी आती है और जाती है....बुद्धिमत्ता के कृत्रिम होने के साथ, शिक्षकों और शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।" आरएसएस प्रमुख ने महात्मा गांधी के इस कथन को भी याद किया कि नैतिकता के बिना विज्ञान पाप है।
भागवत ने आगे कहा कि प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है और इसकी उन्नति मनुष्यों को तेजी से और सटीक तरीके से काम करने में मदद करेगी, लेकिन इसका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "जब हम पढ़ाते हैं, तो हम सीखते भी हैं। हर छात्र अलग होता है।"
उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी को सिर्फ जानकारी की जरूरत है, तो गूगल है, लेकिन पढ़ाने के लिए शिक्षक अपरिहार्य हैं। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ज्ञान की आड़ में झूठ फैलाया जाता है और इतिहास की आड़ में विकृत तथ्य पेश किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान की जांच की जानी चाहिए और फिर उसे आत्मसात किया जाना चाहिए।