एआईसीसी महासचिव और अलपुझा से सांसद के सी वेणुगोपाल ने शुक्रवार को कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हाल की टिप्पणी कि भारत को राम मंदिर के निर्माण के बाद 'सच्ची आजादी' मिली, 'राष्ट्र-विरोधी' है और इसके लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
भागवत के बयान के बारे में पत्रकारों के सवालों के जवाब में वेणुगोपाल ने कहा कि यह टिप्पणी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और उसमें शामिल सभी स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का भी 'अपमान' है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मोहन भागवत ने पूरे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को खारिज करके और यह कहकर स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का अपमान किया है कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली थी।"
उन्होंने कहा कि भागवत के बयान ने आरएसएस और भाजपा का असली चेहरा दिखा दिया है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने कहा, "इस पूरी तरह से राष्ट्र-विरोधी बयान के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।" वेणुगोपाल ने यह भी जानना चाहा कि आरएसएस प्रमुख की टिप्पणी के संबंध में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्या विचार है।
उन्होंने पूछा, "देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का पूरी तरह से अपमान करने वाले इस बयान के बारे में प्रधानमंत्री का क्या कहना है? भाजपा का इस बारे में क्या कहना है?" भागवत ने सोमवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना की तिथि को "प्रतिष्ठा द्वादशी" के रूप में मनाया जाना चाहिए क्योंकि उस दिन भारत की "सच्ची स्वतंत्रता" स्थापित हुई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। भागवत की टिप्पणी की कांग्रेस ने तीखी आलोचना की है और पार्टी नेता राहुल गांधी ने दावा किया है कि यह देशद्रोह और हर भारतीय का अपमान है।