भारत सरकार के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में से एक केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों पर फिलहाल करीब 22 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनका मुकदमा विभिन्न अदालतों में चल रहा है। सरकार की ओर से यह स्वीकारोक्ति की गई है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर को सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी दी गई है। डॉ. ठाकुर की सूचना के अनुसार पिछले 5 वर्षों में सीबीआई अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की कुल 118 शिकायतें मिली हैं।
पांच वर्षों में 118 शिकायतें
महिला आरटीआई एक्टिविस्ट के मुताबिक, इन शिकायतों में 2015 में 13, 2016 में 27, 2017 में 26 तथा 2018 में सबसे अधिक 39 शिकायतें मिलीं। 2019 में अब तक 13 शिकायतें आई हैं।आरटीआई याचिका के जवाब में बताया गया कि भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ आई इन 118 शिकायतों की जांच की गई। इनमें से अधिकांश शिकायतें जांच में निराधार पाई गईं। सीबीआई के जन सूचना अधिकारी के अनुसार, इनमें ज्यादातर शिकायतें ‘फर्जी तथा आधारहीन थीं, जबकि कुछ मामलों में कार्रवाई हुई।’ जन सूचना अधिकारी ने कार्रवाई के सिलसिले में बताया है कि ‘एक अफसर का तबादला किया गया, एक को चेतावनी जारी की गई और एक को उसके मूल विभाग में वापस कर दिया गया। हालांकि, जन सूचना अधिकारी ने आरोपित अधिकारियों के नाम बताने से परहेज किया है, लेकिन उन्होंने यह बताया है कि अभी (सूचना जारी होने) तक 42 शिकायतों को लेकर जांच चल रही है।
भ्रष्टाचारियों को पकड़ने वालों पर भ्रष्टाचार का मुकदमा
जन सूचना अधिकारी ने बताया कि सीबीआई के 14 मौजूदा अफसरों के खिलाफ 11 आपराधिक मुकदमों में विवेचना चल रही है। जबकि 12 मौजूदा अफसरों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में 11 आपराधिक मामले ट्रायल प्रक्रिया में हैं। इन 22 मुकदमों में 19 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में दर्ज हैं। इनमें 4 मुकदमों में 5 सीबीआई अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।
जन सूचना अधिकारी की ओर से आखिर में यह बात जोर देकर कही गई है कि ‘किसी सीबीआई अफसर के खिलाफ हिरासत में मौत या यातना से जुड़ा मुक़दमा दर्ज नहीं है।’