रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण देश है। वो रूस-यूक्रेन विवाद में मध्यस्थता कर सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्होंने यूक्रेन संकट में भारत की मध्यस्थता की बात के बारे में नहीं सुना है। उन्होंने कहा कि देश रक्षा क्षेत्र में भारत के सहयोग को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
रूस और यूक्रेन के बीच भारत के मध्यस्थ बनने के सवाल पर लावरोव ने कहा कि अगर भारत ऐसी भूमिका निभा सकता है जिसमें वो तार्किक रहते हुए अंतरराष्ट्रीय मसलों को सुलझाने के सुझाव दे सके तो हमें भारत की यह भूमिका मंजूर होगी।
यूक्रेन मुद्दे पर भारत की तारीफ करते हुए लावरोव ने कहा कि भारत बिना किसी दबाव में आए सूझबूझ के साथ आगे बढ़ रहा है। मेरा मानना है कि भारतीय विदेश नीति की खासियत बिना किसी दबाव में आए अपने राष्ट्रीय हितों पर ध्यान केंद्रित करना है। रूसी संघ में इसी तरह की नीति है, यह हमें बड़ा देश बनाती है और यही हमें अच्छा और वफादार दोस्त और भागीदार बनाती है।
रूस से कच्चे तेल की खरीद पर लावरोव ने कहा कि अगर भारत रूस से कुछ भी खरीदना चाहता है, तो हम इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों की बाधाओं को दूर करने के लिए भारत और उसके अन्य भागीदारों के साथ राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने की दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है और द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों की गति को जारी रखने की कसम खाई है।
भारत और चीन एकमात्र ऐसे प्रमुख देश हैं, जिन्होंने रूस के हमलों की निंदा नहीं की है। इस हफ्ते लावरोव के चीन दौरे के बाद बीजिंग ने कहा कि वह रूस के साथ द्विपक्षीय संबंधों को विकसित करने के लिए "ज्यादा दृढ़" है। 24 फरवरी को यूक्रेन पर हुए रूसी हमले के बाद लावरोव की यह तीसरी विदेश यात्रा है। इससे पहले लावरोव मार्च की शुरुआत में अपने यूक्रेनी समकक्ष से बातचीत के लिए तुर्की और चीन जा चुके हैं।