सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त की नियुक्तियों से जुड़े एक मामले में 12 राज्यों के मुख्य सचिवों से पूछा है कि उन्होंने इस पद पर अभी तक नियुक्ति क्यों नहीं की है। जस्टिस राजन गोगोई और जस्टिस आर भानुमति की पीठ ने ओडिशा के मुख्य सचिव से भी कहा वह राज्य में लोकायुक्त की स्थिति के बारे में कोर्ट को अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जानकारी नहीं है कि उसके पास भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल है या नहीं।
जिन राज्यों ने लोकायुक्त नियुक्ति के बारे में जानकारी नहीं दी है उनमें दिल्ली, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पुद्दुचेरी, तेलंगाना, उत्तराखंड और त्रिपुरा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सभी राज्य यह भी बताएं कि वे कब तक लोकायुक्त की नियुक्ति करेंगे।
लोकपाल और लोकायुक्त ऐक्ट 2013 के सेक्शन 63 के अनुसार सभी राज्यों के लिए यह अनिवार्य है कि वे ऐसे निकाय का गठन करें जिसे लोकायुक्त के नाम से जाना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट उस लोकहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें राज्यों को लोकायुक्त के प्रभावी ढंग से काम करने के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन और जरूरी आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।
भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून, 2013 को एक जनवरी 2014 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई और यह 16 जनवरी 2014 से अमल में आ गया, इसके बावजूद लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की गई। याचिकाकर्ता के अनुसार कई राज्य सरकारें लोकायुक्त के लिए जरूरी आधारभूत ढांचा, पर्याप्त बजट और कर्मचारी नहीं देकर लोकायुक्त को जानबूझकर कमजोर कर रही हैं।