सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह ब्रिटेन में भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के भारत में प्रत्यर्पण के लिए यूनाइटेड किंगडम में लंबित कार्यवाही पर छह हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
जस्टिस यूयू ललित और अशोक भूषण की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से छह हफ्ते में मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है और अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते में सुनवाई के लिए इसे सूचीबद्ध कर दिया।
केंद्र ने 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माल्या को यूनाइटेड किंगडम में एक अलग "गुप्त" कानूनी प्रक्रिया तक भारत में नहीं प्रत्यर्पित किया जा सकता है, जो "न्यायिक और गोपनीय प्रकृति का समाधान है"। केंद्र का कहना था कि उसे ब्रिटेन में चल रही गुप्त कार्यवाही की जानकारी नहीं है जिसके कारण माल्या के प्रत्यर्पण में देरी हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ जवाब न देने के लिए भगोड़े कारोबारी के वकील को फटकार लगाई और सुनवाई दो नवंबर तक के लिए टाल दी थी। कोर्ट ने भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या के वकीलों से कहा था कि वे दो नवंबर तक बताएं कि माल्या कब अदालत के समक्ष पेश हो सकता है और गोपनीय कार्यवाही कब समाप्त होगी।
ब्रिटेन में चल रही है प्रत्यर्पण की कार्यवाही
सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के वकील से अदालत की अवमानना से जुड़े मामले में पूछा था कि माल्या इस मामले में कब पेश हो सकते हैं। अदालत ने यह भी जानना चाहा था कि मामले में क्या हो रहा है और प्रत्यर्पण में क्या बाधा है। बता दें कि विजय माल्या बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए बैंकों से नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान नहीं करने के मामले में आरोपी है। वह वर्तमान में ब्रिटेन में रह रहे हैं, जहां से सरकार उन्हें प्रत्यर्पित करने की कोशिश कर रही है।