सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने जज लोया की मौत से संबंधित कागजात सील कवर में पेश किए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में सभी दस्तावेज देने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की ओर से एडवोकेट हरीश साल्वे पेश हुए। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ कागजात संवेदनशील हैं। इन्हें याचिकाकर्ता किसी के साथ साझा नहीं करें। कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद है कि याचिकाकर्ता इसकी गोपनीयता बनाए रखेंगे। अब इस मामले में अदालत सात दिन बाद सुनवाई करेगी, लेकिन कोई तारीख तय नहीं की गई है।
मालूम हो कि सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले के ट्रायल जज बी एच लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के एडवोकेट से राज्य सरकार से निर्देश लाने को कहा था। महाराष्ट्र के एक पत्रकार बंधुराज संभाजी लोने ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की है। जज लोया की मौत पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं।
आरोप है कि 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात पुलिस ने हैदराबाद से अगवा किया और दोनों को फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया। शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति को भी 2006 में गुजरात पुलिस द्वारा मार दिया गया। वह सोहराबुद्दीन मुठभेड़ का गवाह माना जा रहा था। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को महाराष्ट्र में ट्रांसफर कर दिया और 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति तथा शेख के केस को एक साथ जोड़ दिया। शुरू में जज जेटी उत्पत केस की सुनवाई कर रहे थे, लेकिन आरोपी अमित शाह के पेश न होने पर नाराजगी जाहिर करने पर अचानक उनका तबादला कर दिया गया फिर केस की सुनवाई जज बी एच लोया ने की और एक दिसंबर 2014 को नागपुर में उनकी उस समय मौत हो गई जब एक सहयोगी की बेटी की शादी में गए हुए थे।