रुइया की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जे. एस. शेखर और जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने यह शक जताया कि हो सकता है रुइया लौटकर न आएं। अदालत ने रुइया के इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया कि वाणिज्यिक कारणों से उनका विदेश जाना जरूरी है। रुइया ने अपने भाई शशिकांत की जमानत दी और कहा कि अगर वे नहीं लौटते हैं तो उनके भाई को जेल में डाला जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस तर्क को भी मानने से मना कर दिया।
रविकांत रुइया के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की। उन्होंने कहा कि एस्सार समूह का कारोबार पूरी दुनिया में फैला हुआ है। वे 43 बार विदेश गए हैं और हर बार उन्होंने अदालत के आदेश का पालन किया है। सरकारी अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने विरोध करते हुए कहा कि विदेश दौरे का ब्यौरा रुइया ने कभी जमा नहीं किया। ऐसे में देश छोड़ने के बाद उन्हें ढूंढ निकालना मुश्किल होगा।