सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी। लालू प्रसाद करोड़ों रुपये के चारा घोटाले में जेल में बंद हैं।
मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जमानत का सीबीआई ने विरोध करते हुए कहा था कि चुनावों में राजनीतिक गतिविधियों में एक्टिव रहने के लिए मेडिकल ग्राउंड पर लालू यादव जमानत मांग रहे हैं जिसे नहीं दिया जाना चाहिए।
पूर्व मामले का दिया हवाला
लालू प्रसाद के वकील कपिल सिब्बल ने एक आदेश का हवाला देते हुए दलील दी कि लालू यादव को तीन केसों में एक ही साक्ष्य के आधार पर सजा दी गई है। 22 महीने से उनके मुवक्किल जेल में बंद हैं। कोई शख्स एक ही अपराध के लिए तीन बार कैसे सजा पा सकता है। कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में याचिकाकर्ता को जमानत दे दी थी। सिब्बल ने कहा कि लालू प्रसाद इन मामलों में पहले ही 22 महीने जेल की सजा काट चुके हैं।
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें प्रत्येक मामले में सजा काटनी होगी। सिब्बल ने कहा, ‘इसमें कोई मांग और वसूली नहीं हुई है और यह साजिश का मामला है।‘ इसके जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैं आपको जमानत दे सकता हूं।‘
तीन मामलों में काट रहे हैं सजा
साल 1996 में सामने आए चारा घोटाला मामले में पाया गया था कि 1990 के दशक की शुरुआत में मवेशियों के लिए फर्जी चारा और दवाओं के लिए राजकीय कोष से लगभग एक हजार करोड़ रुपये का गबन किया गया था। राजद प्रमुख चारा घोटाले से संबंधित तीन मामलों में दोषी करार देने के बाद से रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। उन्हें 13 साल से ज्यादा की जेल की सजा पहले ही सुनाई जा चुकी है।