सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाते हुए नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को आदेश दिया है कि नव-निर्मित ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे को 31 मई या इससे पहले जनता के लिए खोल दिया जाए। कोर्ट ने कहा है कि इसे बनाने का मकसद दिल्ली के ट्रैफिक के बोझ को कम करना है। इसके उद्घाटन के लिए पीएम के इंतजार करने की जरूरत नहीं है।
कुंडली से पलवल तक गाजियाबाद के रास्ते जाने वाला ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे 135 किलो मीटर लंबा है। इस एक्सप्रेस-वे से सफर की दूरी काफी कम हो जाएगी और सफर का समय भी लगभग आधा हो जाएगा। इससे गाजियबाद, फरीदाबाद, गौतमबुद्धनगर (ग्रेटर नोएडा) पलपल की कनेक्टिविटी सिगनल फ्री हो जाएगी। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर सात इंटरचेंज हैं, जिससे एक से दूसरे शहर तक जा सकते हैं। इस एक्सप्रेस-वे की योजना 2006 में बनाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने साफ किया कि अगर इसे 31 मई तक नहीं खोला गया तो इससे काफी हद तक राष्ट्रीय राजधानी ट्रैफिक दबाव कम रह जाएगा। सुनवाई के दौरान एनएचएआई ने कोर्ट को बताया कि हमने उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री से कहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर वो नहीं करते हैं तो आप क्यों नहीं कर देते, मेहनत तो आप लोगों की है। पिछली सुनवाई में आपने कहा था कि अप्रैल में उद्घाटन होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
दूसरी ओर वेस्टर्न एक्सप्रेस-वे के मुद्दे पर हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इस एक्सप्रेस-वे का 81 फीसदी काम पूरा हो चुका है जबकि डेडलाइन फरवरी 2019 की है। हम ये काम जून 2018 तक पूरा कर लेंगे। कोर्ट ने कहा है कि इस काम में देरी जनता के लिए अच्छी नहीं होगी। गौरतलब है कि पीएम मोदी इसी महीने देश के पहले 14 लेन के दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे के पहले चरण का उद्घाटन एक रोड शो के जरिए करेंगे। दिल्ली मेरठ हाइवे का पहला चरण निजामुद्दीन से यूपी गेट तक हैं।