मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची और वीवीपैट का सत्यापन कराने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुरक्षित रखा लिया है। कांग्रेस नेता कमलनाथ की ओर से एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि मतदाता सूची में गड़बड़ी संबंधी जानकारी चुनाव आयोग को दी गई थी और आयोग ने गलत जवाब दाखिल किया है।
सिब्बल ने कहा कि इस बात को लेकर हैरानी है कि चुनाव आयोग ये कैसे कह सकता है कि हमारे खिलाफ कार्रवाई हो, जबकि चुनाव आयोग ने खुद ही ये सूची दी है। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। वहीं, चुनाव आयोग ने कहा कि उसे फोटो के साथ 13 मतदाताओं की सूची नहीं दी गई, जो फोटोकॉपी याचिकाकर्ता ने दी है उनमें मतदाताओं की तस्वीर साफ नहीं है, लेकिन आयोग के पास उनकी साफ तस्वीर है।
औचक जांच आयोग का अधिकार
आयोग ने कहा कि पहली ड्राफ्ट मतदाता सूची 19 जनवरी को जारी हुई, फिर मई में संशोधन किया गया। मतदाता सूची ठीक कर दी गई है और कांग्रेस सिर्फ कोर्ट से अपने पक्ष में फैसला चाहती है। कमलनाथ की विधानसभा चुनाव में दस फीसदी बूथों पर वीवीपीएटी की औचक जांच करने की अर्जी पर चुनाव आयोग ने कहा कि वीवीपीएटी सभी बूथों पर रहेगी लेकिन कहां पर औचक जांच हो ये चुनाव आयोग का अधिकार है। इस मामले में भी आदेश सुरक्षित है।
'पब्लिक डोमेन के सबूत दिए गए'
इससे पहले चुनाव आयोग ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने जहां से मतदाता सूची का डेटा लिया है वो गलत है। जानबूझ कर कोर्ट में गलत दस्तावेज दिए गए। चुनाव आयोग ने मांग की थी कि कांग्रेस याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। जहां मतदाता सूची में कुछ गड़बड़ी थी वहां तुरंत कार्रवाई की गई। याचिकाकर्ता के ये आरोप बेबुनियाद है कि हमनें कुछ नही किया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि ये लिस्ट क्या है? याचिकाकर्ता ने कहा कि जो पब्लिक डोमेन में था उसे हमनें कोर्ट के सामने पेश किया।
'नेताओं के अनुसार चुनाव कराने को बाध्य नहीं'
याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि चुनाव आयोग का कहना गलत है कि ये कोर्ट का फैसला अपने हक में करने के लिए किया गया है जबकि हमनें इसकी जानकारी मुख्य चुनाव आयुक्त को दी थी। इससे पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ और राजस्थान कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट की याचिका पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया था। चुनाव आयोग ने हलफनामा दायर कर कहा कि वह कांग्रेस और उसके नेताओं के बताए तरीकों के अनुसार देश में चुनाव कराने के लिए बाध्य नहीं है। चुनाव आयोग पहले से ही कानूनी प्रावधान के तहत चुनाव कराता है।