सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के पटियाला रोजरेज मामले में पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट द्वारा सुनाई गई तीन साल की सजा के खिलाफ पंजाब के कैबिनेट मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की अपील पर फैसला बुधवार को सुरक्षित रख लिया।
जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच के समक्ष सिद्धू की ओर से वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मामले में पीड़ित गुरमान सिंह की मौत के जो सबूत रिकॉर्ड पर रखे गए वे संदेहास्पद और विरोधाभासी थे। इतना ही नहीं मौत के कारण पर मेडिकल रिपोर्ट भी अस्पष्ट है। बेंच ने सिद्धू के दोस्त और इसी मामले में तीन साल की सजा पाए रुपिंदर सिंह सिद्धू की अपील पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया। सिद्धू ने इससे पूर्व बेंच के समक्ष कहा था कि हाइकोर्ट के निष्कर्ष राय पर आधारित थे न की मेडिकल सबूत पर।
पिछले 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सिद्धू को उस वक्त करारा झटका लगा था, जब राज्य सरकार ने पूर्व क्रिकेटर को रोडरेज की घटना में दोषी बताया था। पंजाब सरकार के वकील ने कहा था कि वर्ष 2006 में पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट से सिद्धू को मिली सजा को बरकरार रखा जाए। राज्य सरकार के वकील ने कहा था कि इस मामले में शामिल नहीं होने का सिद्धू का बयान झूठा था।
गौरतलब है कि सिद्धू के ख़िलाफ़ ग़ैर-इरादतन हत्या का मामला है। हाइकोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के खिलाफ उन्होंने शीर्ष अदालत में अपील की थी। इसी अपील पर सुनवाई हो रही है। मालूम हो कि वर्ष 1988 में सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नामक बुजर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया। बाद में निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था।