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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के नामांकन ईमेल से भरने पर SC ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के लिए ई-मेल से नामांकन दाखिल करने के...
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के नामांकन ईमेल से भरने पर SC  ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के लिए ई-मेल से नामांकन दाखिल करने के फैसले पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि ऐसे उम्मीदवारों को विजयी घोषित न करे, जहां किसी और पार्टी के उम्मीदवार नामांकन न कर पाए हों।

हाई कोर्ट ने आठ मई को राज्य चुनाव आयोग को 14 मई को होने वाले पंचायत चुनावों के लिए निर्धारित समय में उम्मीदवारों द्वारा दाखिल ई-नामांकन पत्रों को स्वीकार करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि 23 अप्रैल को दोपहर तीन बजे तक जितने भी माकपा प्रत्याशियों ने ई-मेल से नामांकन किया है,  उन्हें स्वीकारा जाए। राज्य चुनाव आयोग ने बुधवार को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और दलील दी थी कि अगर आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे अपूरणीय क्षति पहुंचेगी।  

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा है कि चुनाव आयोग और राज्य सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना सुनिश्चित करे। कोर्ट ने टीएमसी, भाजपा और कांग्रेस को नोटिस भी जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि हाई कोर्ट का आदेश सही नहीं है और वह कैसे जनप्रतिनिधि एक्ट में आईटी एक्ट जोड़ सकता है।

'जहां निर्विरोध चुने गए उम्मीदवार, वहां के नतीजें न करें घोषित'

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि राज्य चुनाव आयोग ऐसे उम्मीदवारों को विजयी घोषित न करे जहां किसी और पार्टी के उम्मीदवार नामांकन न कर पाए हों यानी जिनके सामने कोई उम्मीदवार नहीं है। टीएमसी के ऐसे करीब 18 हजार उम्मीदवार हैं, जहां कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं है। उन्हीं सीटों पर नतीजों की घोषणा की जाए, जहां अलग-अलग दलों के नेता चुनाव में हों। यह फैसला ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कोर्ट ने कहा है कि पंचायत चुनाव 14 मई को ही होंगे।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान हिंसा की कई घटनाएं हुई थीं। हिंसा को देखने के बाद ही हाई कोर्ट ने ई-मेल से नामांकन भेजने का आदेश दिया था।  

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