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मौखिक निर्देश पर आरोपी को छोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जेल अधीक्षक को कीमत चुकानी होगी

जमानत रद्द किए जाने के बावजूद मजिस्ट्रेट के मौखिक निर्देश पर जेल से आरोपी को रिहा करने के मामले को...
मौखिक निर्देश पर आरोपी को छोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जेल अधीक्षक को कीमत चुकानी होगी

जमानत रद्द किए जाने के बावजूद मजिस्ट्रेट के मौखिक निर्देश पर जेल से आरोपी को रिहा करने के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने कहा है कि रिहा करने के जिम्मेदार जेल अधीक्षक को इसकी कीमत भुगतनी होगी।

गौतमबुद्ध नगर जिला जेल में आरोपी को छोड़ा

उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिला जेल के अधीक्षक के पेश होने पर सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। कोर्ट में अधीक्षक ने बताया कि जेल के दौरे पर आए मजिस्ट्रेट के मौखिक निर्देश पर उसने आरोपी को छोड़ दिया था। जस्टिस एन. वी. रमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसे बड़ा अजीब बताते हुए कहा कि अगर आवश्यकता हुई तो कोर्ट संबंधित मजिस्ट्रेट के खिलाफ जांच का आदेश भी दे सकता है। जस्टिस रमन और कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि यह बड़ा अजीब है कि जेल अधीक्षक ने मजिस्ट्रेट के मौखिक आदेश पर आरोपी को रिहा कर दिया।

मजिस्ट्रेट ने दिए थे मौखिक निर्देश

सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि अदालत के आदेश के अनुपालन में जेल अधीक्षक उपस्थित हुए हैं। इस पर बेंच के जजों ने टोका, कौन सा अनुपालन। उन्होंने इसी कोर्ट के आदेश को लागू नहीं किया। अधीक्षक का कहना है कि उसने मजिस्ट्रेट के मौखिक आदेश पर रिहा कर दिया। मजिस्ट्रेट ने मौखिक तौर पर कह दिया कि आरोपी को रिहा कर दो और अधीक्षक ने यह देखने की भी जहमत नहीं उठाई कि सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया है। अधीक्षक को नतीजा भुगतना होगा। इस मामले में हमें उस मजिस्ट्रेट के खिलाफ जांच करानी पड़ सकती है जिसने मौखिक आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा- ऐसे आतंकी को भी छोड़ दोगे

मेहता ने बताया कि जेल के दौरे पर गए मजिस्ट्रेट ने आरोपी को रिहा करने के लिए अधीक्षक को िनर्देश दिया और उसने छोड़ दिया। मेहता ने जेल बुक भी अदालत में प्रस्तुत की। इस पर बेंच ने कहा कि कोई मजिस्ट्रेट जेल में आए औ कहे कि आरोपी को छोड़ दो जो आतंकवादी हो, तो क्या जेलर छोड़ देगा। यह गंभीर मामला है। इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई पर लगाई थी रोक

किसी आपराधिक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा मंजूर की गई जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक व्यक्ति ने चुनौती दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में आदेश दिया कि अगर अभी तक आरोपी को छोड़ा नहीं गया है तो उसे अगले आदेश तक रिहा न किया जाए। आरोपी को रिहा किए जाने पर इस व्यक्ति ने अधीक्षक के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस दर्ज किया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधीक्षक के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। इसके बाद अधीक्षक अदालत में पेश हुए।

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