राफेल डील रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है जिसे सुनने को कोर्ट तैयार हो गया है। इस पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी।
एडवोकेट एम एल शर्मा की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि भारत और फ्रांस के बीच राफेल जेट लड़ाकू विमान कीडील को लेकर कई अनियमितताएं बरती गई हैं तथा इसमें भ्रष्टाचार की बात सामने आई है। याचिका में डील पर स्टे लगाने और रद्द करने की मांग की गई है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड की पीठ मामले को सुनने को तैयार हो गई है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि दोनों देशों के बीच हुई इस डील में भ्रष्टाचार हुआ है। ये रकम इन्हीं से वसूली जानी चाहिए। यह डील अनुच्छेद 253 के तहत संसद के माध्यम से नहीं की गई है।
कांग्रेस का यह है आरोप
राफेल डील को लेकर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार को घेरने में जुटी है। कांग्रेस डील में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार होने का आरोप लगा रही है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार प्रत्येक विमान 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार ने प्रति विमान 526 करोड़ रुपये कीमत तय की थी। पार्टी ने सरकार से जवाब मांगा है कि क्यों सरकारी एयरोस्पेस कंपनी एचएएल को इस सौदे में शामिल नहीं किया गया। इस मामले पर कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान पीएम मोदी पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग भी की है। कांग्रेस का कहना है कि इस सौदे से सरकारी खजाने को 41,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने राफेल डील के जरिए अनिल अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगाया है। हालांकि सरकार लगातार कांग्रेस के आरोपों को झूठा और निराधार बता रही है।
क्या है राफेल डील
भारत और फ्रांस ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 23 सितंबर, 2016 को 7.87 अरब यूरो (करीब 5 9,000 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। विमान की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होगी। राफेल विमान फ्रांस की डिसाल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है। राफेल युद्ध के समय अहम भूमिका निभाने में सक्षम हैं।