केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार से राज्य के सभी पुलिस कमिश्नरेट में तीन नए आपराधिक कानूनों को जल्द से जल्द लागू करने को कहा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में उनके कार्यान्वयन पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार को इन आपराधिक कानूनों के अनुसार अभियोजन निदेशालय का एक मॉडल स्थापित करना चाहिए।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने क्रमशः औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली। नए कानून पिछले साल 1 जुलाई से लागू हुए।
शाह ने कहा, "महाराष्ट्र सरकार को राज्य के सभी कमिश्नरेट में नए आपराधिक कानूनों को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए।" बैठक में राज्य में पुलिस, जेल, अदालतों, अभियोजन और फोरेंसिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई।
शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री को राज्य में नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की द्वि-साप्ताहिक समीक्षा करनी चाहिए, जबकि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को साप्ताहिक समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार देशवासियों को त्वरित और पारदर्शी न्याय प्रणाली प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है और कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अपराधों का पंजीकरण होना आवश्यक है, इसलिए एफआईआर दर्ज करने में देरी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सात साल से अधिक की सजा वाले मामलों में 90 प्रतिशत से अधिक सजा दर हासिल करने के प्रयास किए जाने चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस, सरकारी वकील और न्यायपालिका को मिलकर काम करना चाहिए कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले। शाह ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को संगठित अपराध, आतंकवाद और भीड़ द्वारा हत्या के मामलों की नियमित निगरानी करनी चाहिए ताकि इन अपराधों से संबंधित धाराओं के दुरुपयोग को रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि जेलों, सरकारी अस्पतालों, बैंकों, फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरीज (एफएसएल) आदि में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साक्ष्य दर्ज करने की व्यवस्था होनी चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि एक ऐसी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए, जिसमें क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) के जरिए दो राज्यों के बीच एफआईआर ट्रांसफर की जा सके। उन्होंने सिफारिश की कि महाराष्ट्र को सीसीटीएनएस 2.0 और इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम 2.0 (आईसीजेएस) को अपनाना चाहिए।
शाह ने कहा कि पुलिस को पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए व्यक्तियों की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड पर देनी चाहिए। उन्होंने पुलिस स्टेशनों में इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि हर पुलिस सब-डिवीजन में फोरेंसिक साइंस मोबाइल वैन की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। गृह मंत्री ने फोरेंसिक विशेषज्ञों की भर्ती की मांग की और फोरेंसिक विभाग में रिक्त पदों को शीघ्र भरने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को राज्य की फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली को राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (एनएएफआईएस) के साथ एकीकृत करना चाहिए। शाह ने यह भी कहा कि पुलिस को नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों के अनुसार अपराधियों से बरामद संपत्ति को उसके असली मालिक को लौटाने की व्यवस्था स्थापित करनी चाहिए। उन्होंने पुलिस स्टेशनों को और अधिक सुंदर बनाने के महत्व पर जोर दिया। बैठक में केंद्र और राज्य सरकारों के शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया।