चीन के साथ तनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई नहीं भूल सकता कि चीन ने 1962 के युद्ध के बाद भारत की 45,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया था।
पवार की टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस आरोप के बारे में पूछे गए सवाल पर आई है जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय क्षेत्र को चीन की अक्रामता के आगे सरेंडर कर दिया है। पत्रकारों से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पूरा मामला संवेदनशील प्रकृति का है। गलवान घाटी में चीन ने उकसावे वाला रुख अपनाया। बता दें कि पूर्वी लद्दाख में 15 जून को चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए।
यह समय आरोप लगाने का नहीं
पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि हम यह नहीं भूल सकते कि 1962 में क्या हुआ था जब चीन ने भारतीय क्षेत्र के 45,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने कहा कि यह आरोप लगाने का समय नहीं है। किसी को यह भी देखना चाहिए कि अतीत में क्या हुआ था। यह राष्ट्रीय हित का मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
चीनी सैनिकों ने की अतिक्रमण की कोशिश
उन्होंने कहा कि भारत संचार उद्देश्यों के लिए अपने क्षेत्र के भीतर गलवान घाटी में एक सड़क बना रहा था। पवार ने कहा कि चीनी सैनिकों ने हमारी सड़क पर अतिक्रमण करने की कोशिश की और धक्कामुक्की की। पवार ने कहा कि वहां गश्त चल रही थी। झड़प हुई इसका मतलब है कि आप चौकन्ना थे। अगर आप वहां नहीं होते तो आपको पता भी नहीं चलता कि कब वे चीनी सैनिक आए और गए। मुझे नहीं लगता कि इस समय ऐसा आरोप लगाना सही है। बता दें कि महाराष्ट्र में एनसीपी कांग्रेस की सहयोगी है और वो शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाडी सरकार का हिस्सा हैं।