कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति 20 नवंबर को अपनी अगली बैठक में व्हाट्सएप जासूसी मामले पर विचार करेगी। फेसबुक द्वारा चलाए जाने वाले व्हाट्सएप ने 31 अक्टूबर को कहा था कि इजरायली स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल करते हुए अज्ञात संस्थाओं ने कुछ अन्य लोगों के साथ भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की भी जासूसी की थी।
नागरिकों की मौलिक सूचना का अधिकार
सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति के मुखिया के रूप में थरूर ने सदस्यों को एक पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि भारतीय नागरिकों की जासूसी के लिए तकनीक का कथित इस्तेमाल ‘गंभीर चिंता’ का विषय है और 20 नवंबर को समिति की अगली बैठक में इस पर चर्चा होगी। थरूर ने समिति के सदस्यों से आग्रह किया कि एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में, “हमें कार्यपालिका की शक्तियों के किसी भी दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करना चाहिए।”
सर्वोच्च न्यायालय को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निजता के मौलिक अधिकार को स्पष्ट रूप से मान्यता दी है। थरूर ने कहा कि इस अधिकार का उल्लंघन करने वाली किसी भी कार्रवाई की वैधता, यथार्थता और आवश्यकता का विश्लेषण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के स्थायी समिति के सदस्यों को नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
व्हॉट्सएप करेगा एनएसओ पर मुकदमा
सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय पैनल के अलावा, गृह मंत्रालय का पैनल भी अपनी अगली बैठक में ‘जासूसी’ के मुद्दे को उठाएगा। दूसरी ओर व्हाट्सएप का अपनी सफाई में कहना है कि वह इजरायली सर्विलांस फर्म एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा कर रहा है, जिसका कथित तौर पर उस तकनीक के पीछे हाथ है जिसने अनाम संस्थाओं के लगभग 1400 उपयोगकर्ताओं के फोन हैक करने में मदद की थी। जिनकी जासूसी की गई वे चार महाद्वीपों में फैले हैं और इनमें असंतुष्ट राजनयिक, पत्रकार और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं। इन आरोपों पर केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने व्हाट्सएप से रिपोर्ट मांगी है। व्हाट्सएप के वैश्विक स्तर पर डेढ़ सौ करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से भारत में यह संख्या लगभग 40 करोड़ है।