न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति एके सिकरी की पीठ ने कहा कि ब्यूरो के निदेशक जांच कार्य के लिए शीर्ष अदालत को सूचित करके अपनी पसंद के दो अधिकारियों की मदद ले सकते हैं। पीठ ने कहा कि सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक एमएल शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने पहली नजर में यह पाया है कि सिन्हा ने कोयला घोटाले की जांच को कथित रूप से प्रभावित करने का प्रयास किया था।
पीठ ने कहा कि चूंकि जांच ब्यूरो में अब बदलाव हो चुका है, हम जांच ब्यूरो में अपना विश्वास बनाए रखेंगे। साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने पहले से लंबित याचिका या एमएल शर्मा समिति की रिपोर्ट पर कोई राय व्यक्त नहीं की है।
न्यायालय ने कहा कि कोयला घोटाला मामलों में विशेष लोक अभियोजक वरिष्ठ अधिवक्ता आरए चीमा इस मामले में अपने दल के साथ के कानूनी पहलुओं पर सीबीआई निदेशक की मदद करेंगे। पीठ ने जांच ब्यूरो के निदेशक से कहा कि वह इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर अपने दल के स्वरूप के साथ इस जांच को पूरा करने के लिए लगने वाले समय की जानकारी न्यायालय को दें।
शीर्ष अदालत ने गत वर्ष 12 जुलाई को रंजीत सिन्हा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए दायर याचिका पर सुनवाई पूरी की थी। इससे पहले, अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को सूचित किया था कि सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक एमएल शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि सिन्हा ने इस घोटाले के प्रभावशाली आरोपियों से मुलाकात की थी। पहली नजर में संकेत मिलता है कि जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया गया था।
रोहतगी को समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट गोपनीयता बनाए रखने की शर्त पर अवलोकन के लिए दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्होंने रिपोर्ट का अवलोकन किया है जिसने यह पाया है कि सिन्हा के आवास की आगंतुक डायरी में प्रविष्टियां सही है। हालांकि, रोहतगी ने यह भी कहा था कि डायरी की प्रविष्टियों की सच्चाई के बारे में सिर्फ साक्ष्य के माध्यम से न्यायालय ही पता लगा सकता है।
शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त यह समिति कोयला घोटाले की जांच सिन्हा द्वारा कथित रूप से प्रभावित करने आरोपों की जांच कर रही थी। समिति ने आरोपी व्यक्तियों के साथ मुलाकातों को पूरी तरह अनुचित बताया था। न्यायालय ने सात दिसंबर, 2015 को सिन्हा के सरकारी निवास की मूल आगंतुक डायरी शर्मा के नेतृत्व वाली समिति को सौंपने का आदेश दिया था। (एजेंसी)