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राज्य तत्काल गोदामों से उठाएं अनाज, 15 दिनों में प्रवासी मजदूरों में वितरित करें : पासवान

केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने राज्यों से अपील की है कि वे अनाज और दाल गोदामों से तत्काल...
राज्य तत्काल गोदामों से उठाएं अनाज, 15 दिनों में प्रवासी मजदूरों में वितरित करें : पासवान

केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने राज्यों से अपील की है कि वे अनाज और दाल गोदामों से तत्काल उठाएं और 15 दिनों में आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों में मुफ्त वितरित करें। शनिवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मीडिया को संबोधित करते हुए पासवान ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि अगर प्रवासी मजदूरों की संख्या आठ करोड़ से अधिक होती है तो केंद्र सरकार उनके लिए भी अतिरिक्त अनाज उपलब्ध कराने के लिए तैयार है, लेकिन राज्यों को ऐसे लोगों की पहचान करनी पड़ेगी।

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 14.2 करोड़ लाभार्थी

खाद्य मंत्रालय के अनुसार उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 142 लाख प्रवासी मजदूर हैं। इसके बाद बिहार में 86.45 लाख, महाराष्ट्र में 70 लाख, पश्चिम बंगाल में 60 लाख, मध्य प्रदेश में 54.64 लाख, राजस्थान में 44.56 लाख, कर्नाटक में 40.19 लाख, गुजरात में 38.25 लाख, तमिलनाडु में 35.73 लाख, झारखंड में 26.37 लाख, आंध्र प्रदेश में 26.82 लाख और असम में 25.15 लाख प्रवासी हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 7.27 लाख प्रवासी मजदूरों को पांच किलो चावल या गेहूं अनाज और एक किलो चना मुफ्त दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने मई और जून महीने के लिए इन मजदूरों को मुफ्त अनाज वितरण की घोषणा की है। इस पर करीब 3,500 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 81 करोड़ लाभार्थी हैं। इनमें से 10 फ़ीसदी को मुफ्त अनाज वितरण का लक्ष्य रखा गया है।

मुफ्त वितरण के लिए 7.99 लाख टन अनाज का आवंटन

पासवान ने कहा कि उनके मंत्रालय ने राशन वितरण के लिए सभी इंतजाम कर लिए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर यह काम राज्य सरकारों को करना है। इसलिए उन्हें सक्रियता दिखाते हुए गोदामों से राशन तत्काल उठाना चाहिए और वितरण शुरू करना चाहिए। उन्होंने बताया कि दो महीने तक मुफ्त अनाज वितरण के लिए 7.99 लाख टन अनाज का आवंटन किया गया है। इसमें से 6.5 लाख टन चावल और बाकी 1.04 लाख टन गेहूं है। उन्होंने बताया कि चावल की मात्रा इसलिए अधिक रखी गई है क्योंकि इसे पका कर खाना आसान होता है।

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मजदूर पैदल अपने घर लौट रहे हैं। इस समय हमारी प्राथमिकता यह है कि कोई भी प्रवासी भूखा ना रहे। इसलिए केंद्र सरकार राज्यों से लाभार्थियों का विवरण नहीं मांग रही है। राज्य सरकारें दो महीने बाद यह डाटा उपलब्ध करा सकती है, लेकिन उन्हें इसका हिसाब किताब रखना पड़ेगा।

राहत शिविरों में भी वितरित किया जा सकता है मुफ्त राशन

खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने बताया कि कर्नाटक सरकार ने अनाज उठाना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश सरकार 18 मई से ऐसा करेगी। केरल ने भी गोदामों से अनाज उठाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें राहत शिविरों में सीधे मुफ्त राशन का वितरण कर सकती हैं या कूपन के जरिए वितरित कर सकती हैं। अगर राज्यों को इसके अतिरिक्त भी कोई तरीका उचित लगता है तो वह उसे भी अपना सकते हैं। राज्य चाहें तो दो महीने का कोटा एक बार में उठा सकते हैं।

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