11,400 रुपये के पीएनबी घोटाला के सामने आने के बाद आज केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने पहली बार मुंह खोला। उन्होंने कहा कि सरकार धोखाधड़ी करने वालों को नहीं छोड़ेगी। वित्त मंत्री ने साफ कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह बैंकिंग सिस्टम से धोखाधड़ी करने वालों को पकड़े।
It is incumbent upon the state to chase those who cheat the banking system: FM Arun Jaitley
— ANI (@ANI) 20 फ़रवरी 2018
पंजाब नेशनल बैंक या नीरव मोदी का नाम लिए बगैर जेटली ने कहा कि जब प्रबंधन को अधिकार दिए जाते हैं तो उनसे उम्मीद की जाती है कि वे इसका सही और असरदार तरीके से इस्तेमाल करेंगे। ऐसे में प्रबंधन पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या उनमें कमी थी। पहली नजर में तो ऐसा ही लग रहा है।
Also what were auditors doing? If both internal and external auditors have looked other way and failed to detect then I think CA professionals must introspect. Supervisory agencies also must introspect what are the additional mechanisms they have to put in place: FM Jaitley pic.twitter.com/8bW9JuzhiZ
— ANI (@ANI) 20 फ़रवरी 2018
वित्त मंत्री ने कहा कि यह सवाल भी उठता है जब घोटाला हो रहा था तब ऑडिटर क्या कर रहे थे? अगर आतंरिक और बाहरी दोनों ऑडिटर इसे नहीं पकड़ पाए या उन्होंने इससे मुंह फेर लिया तब मुझे लगता है सीए (चार्टड अकाउंटेंट) प्रोफेशनल्स को अपना आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। जेटली ने कहा कि निगरानी करने वाली एजेंसियों को भी खुद आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। उन्हें सुरक्षा के अतिरिक्त तंत्र बनाने के बारे में सोचना चाहिए। वित्त मंत्री नई दिल्ली में एसोसिएशन ऑफ डेवलपमेंट फाइनेंसिंग इंस्टीट्यूशंस इन एशिया एंड द पैसेफिक के सालाना बैठक में बोल रहे थे।
वित्त मंत्री से पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और मानव संशाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बैंकिंग घोटाले पर बयान दे चुके हैं। इन सभी ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार को घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराया था।