सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने इस तरह की घटानों के विरोध में अपना अवार्ड लौटाया दिया है। उन्हें यह अवार्ड 2008 में दिया गया था। हाल ही में ईद की खरीदारी कर लौट रहे एक युवक को बल्लभगढ़ के पास हिंसक भीड़ ने ट्रेन में जान से मार दिया था जबकि उसके दो भाइयों को बुरी तरह घायल कर दिया था। इसके पहले राजस्थान में भी अल्पसंख्यक समुदाय के एक मजदूर नेता की कथित रूप से पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग ने अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह से खो दी है।
हाशमी ने एनसीएम को लिखे पत्र में कहा है कि वे अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर लगातार हो रहे हमले, इन्हें लेकर सरकार की उदासीनता और इन हिंसक समूहों को मूक समर्थन के विरोध में वे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार पुरस्कार लौटा रही हैं। हाशमी ने आयोग के कार्यालय जाकर अवार्ड और प्रशस्ति पत्र निदेशक टीएम सकारिया को सौंप दिया।
J-K Cop lynching: Activist returns national award, says `Talibanisation` happening in society
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— ANI Digital (@ani_digital) June 27, 2017