सुप्रीम कोर्ट में आधार की संवैधानिकता वैधता पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि आधार कार्ड के दूरगामी परिणाम होंगे क्योंकि पीढ़ियों तक आधार नंबर का इस्तेमाल किया जाएगा। किसी को नहीं पता कल क्या होगा, न ही पीठ को और न ही विशेषज्ञों को।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री और एडवोकेट सिब्बल ने पीठ के समक्ष अपनी दलीलें रखी और कई खामियों के बारे में बताया। कपिल सिब्बल ने कहा कि आधार कार्ड को लेकर की जा रही सारी प्रक्रिया गलत है क्योंकि आधार की जानकारी लेने में चेकमार्क नहीं है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि किसी सामान्य नागरिक के चुनने का अधिकार अनुछेद 21 के तहत संवैधानिक अधिकार है। प्रक्रिया और सामग्री वाजिब होनी चाहिए। मेरी पात्रता विधवा या अनुसूचित जाति या जनजाति के तौर पर मेरा स्टेट्स है और इसका मेरी पहचान से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में मेरे स्टेट्स को कैसे इनकार किया जा सकता है कि मेरे पास आधार कार्ड नहीं है। सूचना एक बड़ी शक्ति है। अगर राज्य को ये शक्ति दे दी गई तो वह इसका इस्तेमाल अपनी मर्जी से करेगा। ऐसा इससे पहले कभी नहीं किया गया था। किसी भी टेक्नोलॉजी को हैक किया जा सकता है क्योंकि ऐसा करना आसान है। दुनिया में ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं जिसका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता। किसी को बर्बाद करने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आराम से किया जा सकता है। किसी व्यक्ति की अगर निचली जानकारी हैक हो गई तो उसे दुबारा पहले की स्थिति में नहीं लाया जा सकता। निजी कंपनियां इसका इस्तेमाल अपने मुनाफे के लिए कर सकती हैं. कंपनियां आधार के माध्यम से सूचना आसानी से हासिल कर सकती हैं और उसे लोगों के बारे में जितनी जानकारी होगी वह अपने प्रोडक्ट अच्छी तरह से बेच सकेंगी। एक बार व्यक्तिगत सूचना लोगों के बीच आ गई तो उसके घातक परिणाम हो सकते है।