फेसबुक की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, ट्विटर, गूगल और यूट्यूब को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट का यह नोटिस फेसबुक की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया है जिसमें उसने तीन हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई है। यह याचिकाएं मद्रास, बॉम्बे और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित है जिनमें आधार डाटाबेस को सोशल मीडिया के साथ इंटरलिंक करने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, गूगल, ट्विटर और यू-ट्यूब को नोटिस जारी किया है कि क्या हाईकोर्ट में लंबित सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए उनकी प्रतिक्रिया मांगी जाए, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या सोशल नेटवर्किंग साइटों को पुलिस के साथ अपराधियों से संबंधित जानकारी साझा करने के लिए बाध्य किया जा सके।
फेसबुक ने अपनी याचिका दायर कर कहा है कि मद्रास, बॉम्बे और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमों में अलग फैसले आने से दिक्कत हो सकती है। हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुनवाई के दौरान तमिलनाडु राज्य के लिए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने आतंकवाद और पोर्नोग्राफी सहित अपराध के मुद्दों का हवाला दिया। वहीं, फेसबुक और व्हाट्सएप ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा कि क्या उन्हें आपराधिक जांच में मदद करने के लिए जांच एजेंसियों को डेटा और जानकारी साझा करने के लिए मजबूर किया जा सकता है?
सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ पारित किसी भी आदेश का वैश्विक असर होगा इसलिए शीर्ष अदालत को इस तरह के एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला करना चाहिए और विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित सभी मामलों को सुप्रीम मे हस्तांतरित किया जाना चाहिए।
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि एक आइआइटी प्रोफेसर का कहना है कि ओरिजीनेटर की पहचान कैसे की जा सकती है। उन्होंने ब्लू व्हेल गेम का भी हवाला दिया। ओरिजीनेटर का पता लगाना बहुत मुश्किल था। भारत सरकार आज तक संघर्ष कर रही है इसको लेकर उन्होंने कहा की फेसबुक खुद मानते हैं कि उनके पास ओरिजीनेटर का पता लगाने के लिए कोई तंत्र नहीं है।