केंद्र के प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार का यह प्रोजेक्ट करीब 20 हजार करोड़ रुपये का है जिसके तहत लुटियन दिल्ली में नई संसद और कई केंद्रीय कार्यालयों को बनाया जाना प्रस्तावित है।
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोरोना कोई काम नहीं होने दे रहा है। इस मामले में कोई जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी ही याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए याचिकाकर्ता याचिका में संशोधन करे। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रोजेक्ट के तहत एक नई संसद का निर्माण किया जा रहा है। किसी को समस्या क्यों होनी चाहिए? प्रोजेक्ट का प्लान 2022 में भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अनुसार तैयार किया गया है।
भूमि में बदलाव को लेकर दी गई है चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने राजीव सूरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की जिसमें सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि भूमि उपयोग में अवैध परिवर्तन किया गया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि सरकार की अधिसूचना, 20 मार्च, 2020, जो 19 दिसंबर, 2019 को दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा जारी एक सार्वजनिक सूचना को निरस्त करती है, जो न्यायिक नियमों के खिलाफ है।
नई संसद का निर्माण है प्रस्तावित
सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें, जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों और इंडिया गेट जैसी प्रतिष्ठित इमारतें हैं। केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका पुनर्विकास करने का प्रस्ताव है जिसमें प्रधान मंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे। सेंट्रल विस्टा क्षेत्र' को 2021 तक नया रूप दिया जाना है, जबकि मौजूदा और भविष्य की जरूरतों के मुताबिक संसद भवन की नई इमारत का निर्माण 2022 तक और केन्द्रीय सचिवालय का निर्माण 2024 तक करने का लक्ष्य है।