सुप्रीम कोर्ट ने नीट एसएस के परीक्षा पैटर्न में अंतिम समय में बदलाव पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह युवा डॉक्टरों को सत्ता के खेल में फुटबॉल न बनाए। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि केंद्र सरकार इस मामले से जुड़े सभी संबंधित प्राधिकारियों के साथ बैठक कर चार अक्तूबर तक जवाब दे।
नीट पीजी सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 के पैटर्न में अंतिम समय में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा, 'सत्ता के खेल में इन युवा डॉक्टरों को फुटबॉल मत समझो। हम इन डॉक्टरों को असंवेदनशील नौकरशाहों की दया पर नहीं छोड़ सकते। सरकार अपने घर को दुरुस्त करे सिर्फ इसलिए कि किसी के पास शक्ति है, आप इसका किसी भी तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते। यह उनके करियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अब आप अंतिम समय में बदलाव नहीं ला सकते।' सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्न ने कहा, 'इन युवा डॉक्टरों को अंतिम क्षणों में बदलाव के कारण भ्रमित किया जा सकता है।'
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'युवा डॉक्टरों के साथ संवेदनशीलता से पेश आएं। एनएमसी (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) क्या कर रहा है? हम डॉक्टरों के जीवन से निपट रहे हैं। आप नोटिस जारी करते हैं और फिर पैटर्न बदल देते हैं? छात्र सुपर स्पेशियलिटी कोर्स की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर देते हैं। परीक्षा से पहले अंतिम मिनटों को बदलने की आवश्यकता क्यों है? आप अगले वर्ष से परिवर्तनों के साथ आगे क्यों नहीं बढ़ सकते?'
असल में 41 पीजी क्वालिफाइड डॉक्टरों ने परीक्षा के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में बदलाव को चुनौती दी है। छात्रों की दलील है कि परीक्षा से महज 2 महीने पहले पैटर्न बदल दिया गया है। मामले में 20 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को नोटिस जारी किया था। इसके साथ ही अगली सुनवाई 27 सितंबर को तय की थी। 2018 में पैटर्न सामान्य चिकित्सा से 40 प्रतिशत और सुपर स्पेशियलिटी से 60 प्रतिशत प्रश्न का था जबकि इस बार अंतिम समय में बदलाव की घोषणा की गई जिसमें सामान्य चिकित्सा से शत-प्रतिशत प्रश्न पूछे गए थे। नीट एसएसS 2021 को 13 और 14 नवंबर को आयोजित किया जाना है। परीक्षा की तारीखों को 23 जुलाई को अधिसूचित किया गया था, लेकिन 31 अगस्त को पाठ्यक्रम में बदलाव की घोषणा कर दी गई।