लंबे समय तक चर्चा का विषय रहे आधार कार्ड की वैधानिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को अपना फैसला सुनाएगा। आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली 27 याचिकाओं पर करीब चार महीने तक बहस चली थी। मैराथन बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मई में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जनवरी में शुरू हुई थी सुनवाई
मामले की सुनवाई जनवरी में शुरू हुई थी, इसके बाद करीब 38 दिन तक इस मामले की सुनवाई चली। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच जजों की बेंच ने सुनवाई की। सरकार को इस दौरान यह भी फैसला करना है कि क्या आधार कार्ड प्राइवेसी के कानून का हनन है, जो संविधान के मुताबिक किसी भी नागरिक का आधारभूत अधिकार है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा, आम जीवन हुआ प्रभावित
सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य किया था। इसके अलावा बैंक अकाउंट खोलने, पैन कार्ड बनवाने, सेलफोन सर्विस, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य किया था। आधार कार्ड को पहचान और पते के प्रूफ के तौर पर मान्यता दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आधार कार्ड से आम जीवन प्रभावित हुआ है, ऐसे में इसे खत्म कर देना चाहिए।
सरकार ने दी पक्ष में कई दलीलें
वहीं, केंद्र सरकार ने आधार कार्ड के पक्ष में कई दलील दी हैं। सरकार की सबसे बड़ी दलील है कि इसकी वजह से सब्सिडी के लाभार्थियों को बिना गड़बड़ी का फायदा मिलता है। आधार डेटा, सरकार और आधार अथॉरिटी का कहना है कि यह पूरी तरह सुरक्षित है और इसके साथ धोखाधड़ी नहीं की जा सकती है।