लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पटना के दीघा स्थित जनार्दन घाट में पंचतत्व में विलीन हो गए गए। उनके बेटे चिराग पासवान ने उन्हें मुखाग्नि दी। 74 वर्षीय पासवान का गुरुवार को दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। कल देर शाम सेना के विशेष विमान से उनकी पार्थिव देह को दिल्ली से पटना लाया गया। पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी श्रद्धांजलि दी।
रामविलास पासवान की शवयात्रा उनके पटना स्थित कृष्णा पुरी आवास से निकली। अंतिम संस्कार से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सुशील मोदी, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय और राजद नेता तेजस्वी यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अंतिम यात्रा में उनकी उनकी दोनों पत्नियां शामिल हुईं।
पटना के दिघा घाट पर सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से अपने नेता को बधाई दी। हजारों लोग अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि देने दूर-दूर से आए थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई नेताओं ने उन्हें दिल्ली स्थित उनके निवास पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
पासवान 1977 से 2014 तक आठ बार हाजीपुर लोकसभा सीट से चुने गए थे। वह दलितों के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे। 1977 और 1980 में पासवान जनता पार्टी के टिकट पर जीते थे। 1977 में 4.24 लाख के भारी अंतर से जीत पर उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज हुआ था। दुनिया में किसी भी नेता ने इतने भारी अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी के नहीं हराया था।