Advertisement

बजट में बच्चों से संबंधित योजनाओं में नाममात्र बढ़ोतरी: सत्यार्थी

देश के वर्ष 2017-18 के बजट में बच्चों के कल्याण के वास्ते भले ही आवंटन में बढ़ोतरी की गयी हो लेकिन बाल अधिकारों पर काम करने वालों ने बच्चों के कार्यक्रमों के लिए हुई नाममात्र बढ़ोतरी को निराशाजनक करार दिया है। गौरतलब है कि देश की आबादी का 39 प्रतिशत जनसंख्या बच्चों की है।
बजट में बच्चों से संबंधित योजनाओं में नाममात्र बढ़ोतरी: सत्यार्थी

 

वर्ष 2017-18 के बजट में बच्चों के कल्याण योजनाओं में कुछ कोषों के लिए केवल 3.32 प्रतिशत की बढ़ोतरी का हवाला देते हुए बाल अधिकार संगठन (क्राई) ने कहा कि राष्ट्रीय बाल कार्य योजना (एनपीएसी) के लिए की गई पांच प्रतिशत धन की सिफारिश पूरी नहीं हो सकी। नोबेल पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि वह राष्ट्रीय बाल श्रम योजना के लिए मामूली बढ़ोतरी से निराश हैं। क्राई की निदेशक (नीति, शोध और पक्षकार) कोमल गनोत्रा ने पीटीआई भाषा को बताया, पिछले 15 वर्षों की भांति, केंद्रीय बजट 2017-18 में बच्चों के लिए आवंटन स्थिर बना हुआ है और इसमें केवल 3.32 प्रतिशत धन का आवंटन किया गया है। इसमें वृद्धिशील बढ़ोतरी करने की जरूरत है। केवल 2016-17 के बजट में 65,758.45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 71,305.35 करोड़ रुपये किया गया था।

उन्होंने कहा कि हाल ही में एनपीएसी ने बच्चों के वास्ते अगले पांच साल की रूपरेखा प्रस्तुत की थी और राज्यों एवं केंद्रीय बजट में बच्चों से सीधी जुड़ी योजनाओं और कार्यक्रमों में कम से कम पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की सिफारिश की थी।

कोमल ने दावा किया, इस बजट में एनपीएसी के तहत की गयी सिफारिशों को भी पूरा नहीं किया गया है। हालांकि, सत्यार्थी ने बच्चों के सशक्तीकरण और सुरक्षा पर बजट में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी का स्वागत किया है और कहा है कि महिला और बाल विकास के लिए आवंटन 1.56 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.84 करोड़ रुपये करने से भरोसा जगता है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय बाल श्रम योजना के लिए नाममात्र की बढ़ोतरी है जो निराशाजनक है।

सत्यार्थी ने कहा, बच्चों का विकास सुनिश्चित करने के लिए मैंने हमेशा से उनकी सुरक्षा के महत्व पर बल दिया है। उन्होंने कहा, परिणाम दर्शाता है कि इस समय बच्चों की प्रगति में भारी अंतर है। इसे केवल विभिन्न बाल कल्याण योजनाओं के अन्तर्गत आवंटन और व्यय से पूरा किया जा सकता है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
  Close Ad