असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की अंतिम लिस्ट आज जारी कर दी गई है। एनआरसी की सूची में 3 करोड़ 11लाख 21 हजार 4 लोगों को शामिल किया गया है जबकि सूची से 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को बाहर रखा गया है। एनआरसी के स्टेट को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने यह जानकारी दी।
एनआरसी लिस्ट जारी होने के बाद एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बीजेपी को सबक सीखना चाहिए। उन्हें हिंदू और मुस्लिम के आधार पर देशभर में एनआरसी की मांग को बंद कर देना चाहिए। उन्हें सीखना चाहिए कि असम में क्या हुआ। अवैध घुसपैठियों का भ्रम टूट गया है। उन्होंने कहा, ‘ये मेरा अपना संदेह है कि बीजेपी नागरिकता संशोधन बिल के जरिए बीजेपी ऐसा बिल ला सकती है, जिससे सभी गैर मुस्लिमों को नागरिकता दे सकती है, जो समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा। असम के कई लोगों ने मुझे बताया कि माता-पिता के नाम लिस्ट में हैं जबकि बच्चों के नहीं। उदाहरण के तौर पर मोहम्मद सनाउल्लाह ने सेना में काम किया। उनका मामला हाई कोर्ट में लंबित है. मुझे उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा।
हेमंत बिस्वा शर्मा ने उठाए सवाल
भाजपा नेता और असम सरकार में वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने एनआरसी को लेकर सवाल उठाया है। शर्मा ने कहा, 'मैंने एनआरसी को लेकर सभी उम्मीदें खो दी हैं। मैं बस चाहता हूं कि दिन बिना किसी बुरी घटना के शांति से गुजर जाए।'
मंत्री ने आगे कहा, 'दिल्ली और असम सरकार विदेशियों को राज्य से बाहर निकालने के लिए नए तरीकों पर चर्चा कर रही हैं। मुझे नहीं लगता कि यह अंतिम सूची है, अभी और भी बहुत कुछ सामने आना बाकी है।'
मुझे न्यायपालिका पर भरोसा: सनाउल्लाह
फाइनल असम एनआरसी लिस्ट में भारतीय सेना से रिटायर्ड ऑफिसर 52 वर्षीय सनाउल्लाह का नाम भी शामिल नहीं है। फाइनल लिस्ट में सनाउल्लाह की दोनों बेटी और एक बेटे का नाम भी नहीं है। हालांकि सनाउल्लाह की पत्नी का नाम इसमें शामिल है। मोहम्मद सनाउल्लाह ने कहा, मुझे अपना नाम लिस्ट में होने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि मेरा मामला अभी भी हाई कोर्ट में लंबित है, मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और मुझे विश्वास है कि न्याय जरूर मिलेगा।
हिंसा की कोई घटना नहीं: गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय के मुताबिक एनआरसी की फाइनल लिस्ट की घोषणा के बाद स्थिति शांतिपूर्ण है। गृह मंत्रालय राज्य के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी से लगातार संपर्क में है। अब तक हिंसा की कोई घटना सामने नहीं आई है। एनआरसी की सूची आने के बाद गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक असम में कानून व्यवस्था कायम करने के लिए सारे बंदोबस्त किए जा चुके हैं। साथ ही ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं, जिन लोगों का नाम नहीं आया है वह इसमें आवेदन कर सकते हैं।
फॉरेन ट्रिब्यूनल में कर सकते हैं अपील
इस फाइनल लिस्ट के तहत करीब 41 लाख लोगों का भविष्य तय होना था। हालांकि जिनका नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं है, वे फॉरेन ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। असम में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। असम की राजधानी गुवाहाटी समेत राज्य के कई अन्य संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लगा दी गई है।
जब तक अपील ना सुनी जाए, तब तक यथास्थिति बनी रहे: सीपीआई-एम
कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कहा कि इस कदम के बाद बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों को इस लिस्ट से निकाल दिया गया है। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि जिन लोगों को लिस्ट से निकाला गया है उनके अधिकार क्या होंगे। जब तक उनकी अपील नहीं सुनी जाती, अधिकारों और सुविधाओं को लेकर यथास्थिति बनी रहनी चाहिए। साथ ही जिन लोगों को विदेशी घोषित किया जाता है उन्हें डिटेंशन कैंप में भेजने की वर्तमान व्यवस्था बंद हो क्योंकि यह मूलभूत मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
राज्य में लगाई गई धारा 144
राज्य में सुरक्षा के मद्देनजर विभिन्न हिस्सों में धारा 144 लगाई गई है। एनआरसी को राज्य में मूल लोगों को अवैध बांग्लादेशियों से बचाने के लिए सुरक्षा कवच और असमी पहचान के सबूत के रूप में देखा जा रहा है।
अपील करने की समय सीमा 60 से बढ़ाकर 120 की गई
पुलिस ने कहा है, 'विदेशी न्यायाधिकरण में अपील करने की समय सीमा 60 से बढ़ाकर 120 कर दी गई है। सरकार जिला विधिक सेवा प्राधिकारियों के माध्यम से उन जरूरतमंदों को कानूनी सहायता प्रदान करेगी जो एनआरसी से बाहर रह गए हैं तथा सुविधाजनक स्थानों पर और विदेशी न्यायाधिकरण स्थापित किए जा रहे हैं।'