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राजीव गांधी हत्या मामले में जानें सुनवाई का घटनाक्रम

 पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नलिनी श्रीहरन समेत 6...
राजीव गांधी हत्या मामले में जानें सुनवाई का घटनाक्रम

 पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नलिनी श्रीहरन समेत 6 दोषियों को रिहा करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने इस मामले में कदम नहीं उठाया। बता दें कि इससे पहले 3 नवंबर को, शीर्ष अदालत ने नलिनी की समय से पहले रिहाई की मांग करने वाली याचिका पर मामले को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया था।

आइए जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले की सुनवाई का घटनाक्रम:--

28 जनवरी 1998: पूनामल्ली निचली अदालत ने राजीव गांधी की हत्या के मामले में नलिनी श्रीहरन सहित 26 आरोपियों को दोषी करार दिया और उन सभी को मौत की सजा सुनाई।

11 मई 1999: उच्चतम न्यायालय ने चार दोषियों की मौत की सजा की पुष्टि की, जिनमें वी श्रीहरन उर्फ मुरुगन की पत्नी नलिनी, टी संथन उर्फ सुतंतीराराज, अरीवु उर्फ ए जी पेरारिवलन शामिल थे।

साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने तीन दोषियों--के. रॉबर्ट पायस, एस जयकुमार और पी रवि उर्फ रविचंद्रन की मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया। इसके अलावा, 19 अन्य को सुनाई गई मौत की सजा निरस्त कर दी।

19 अप्रैल 2000: (तत्कालीन) मुख्यमंत्री एम करूणानिधि की अध्यक्षता में तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की सिफारिश की। तीन अन्य की दया याचिका खारिज कर दी। राज्यपाल ने फैसले को मंजूरी दे दी।

26 अप्रैल 2000: वी श्रीहरन, टी संथन, ए जी पेरारिवलन ने राष्ट्रपति को दया याचिका दी।

12 अगस्त 2011: राष्ट्रपति ने केंद्र की सिफारिश पर तीनों की दया याचिकाएं खारिज कर दी।

29 अगस्त 2011: तमिलनाडु की (दिवंगत) मुख्यमंत्री जे जयललिता ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश कर राष्ट्रपति से मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का अनुरोध किया। प्रस्ताव पारित कर दिया गया और केंद्र सरकार के विचारार्थ भेजा गया।

18 फरवरी 2014: इन दोषियों की दया याचिकाओं में अत्यधिक विलंब होने का जिक्र करते हुए उच्चतम न्यायालय ने श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया।

19 फरवरी 2014: जयललिता ने विधानसभा में घोषणा की कि सरकार का इरादा राजीव हत्याकांड के सभी सात दोषियों को समय से पहले रिहा करने का है। तमिलनाडु सरकार ने इस विषय पर केंद्र को पत्र लिख कर उसकी सहमति मांगी। केंद्र सरकार ने तमिलनाडु सरकार के कदम पर उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

दो मार्च 2016: जयललिता सरकार ने एक बार फिर से केंद्र को पत्र लिखा और सात दोषियों की रिहाई पर उसकी सहमति मांगी।

18 अप्रैल 2018: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार के फैसले को सहमति देने से इनकार कर दिया।

नौ सितंबर 2018: मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी की अध्यक्षता में तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने राज्यपाल से सभी सात दोषियों को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत रिहा करने की सिफारिश की।

18 मई 2022: उच्चतम न्यायालय ने पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया।

आरोप पत्र में कुल 41 लोगों को नामजद किया गया था और 26 पर मुकदमा चला, जबकि अन्य की मृत्यु हो गई। कुछ आरोपियों की मौत मुकदमा लंबित रहने के दौरान हुई, जबकि अब निष्क्रिय हो चुके श्रीलंका के संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के वेलुपिल्लई प्रभाकरण सहित अन्य की बाद में मृत्यु हो गई।

भाषा इनपुट के साथ

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