देशभर में सरकारी बैंकों के करीब 10 लाख कर्मचारी आज हड़ताल पर हैं। कर्मचारी विभिन्न राज्यों में रैली निकालकर विरोध जता रहे हैं।
इससे देश भर में बैंकिंग सेवाओं पर खासा असर पड़ा है। बैंक कर्मचारी संगठनों ने विजया बैंक और देना बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में प्रस्तावित विलय और वेतन संबंधी समझौते में देरी के विरोध में यह हड़ताल की है।एक सप्ताह से भी कम समय में यह दूसरी बैंक हड़ताल है।
युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों के विलय के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया है। यूएफबीयू शीर्ष नौ बैंक संघों की एक ईकाई है। इसमें ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), नेशनल कनफेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लायज (एनसीबीई) और नेशनल आर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) आदि यूनियनें शामिल हैं।
हफ्ते में दूसरी हड़ताल
पिछले करीब एक हफ्ते में देश की बैंकिंग सेवा काफी प्रभावित रही है। पांच दिनों में से एक बार बैंक खुलने के बाद आज फिर देश के सरकारी बैंक बंद रहे और आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
21 दिसंबर को भी बैंकों ने हड़ताल की थी। 22 और 23 दिसंबर को छुट्टी थी। उसके बाद 24 दिसंबर को बैंक खुले थे। फिर 25 को छुट्टी के कारण बैंक बंद रहे थे। आज फिर सरकारी बैंक के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। यानी पूरे सप्ताह लगभग बैंकों का काम ठप रहा।
लंबित है वेतन संशोधन की मांग
बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के संगठन आयबॉक ने वेतनवृद्धि और बैंकों के विलय के विरोध में बैंकों की हड़ताल की घोषणा की थी। यूनियन मई 2017 को जमा हमारी मांगों के चार्टर के आधार पर 11वें द्विपक्षीय वेतन संशोधन वार्ता के लिए बिना शर्त आदेश पत्र जारी करने की मांग कर रही है। वेतन पुनरीक्षण पर बातचीत शुरू होने के 19 महीने बीत जाने के बाद भी इस प्रक्रिया में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।