दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय ने इस वर्ष के शुरू में दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (यूपीपीए के तहत मुकदमा चलाये जाने की मंजूरी दे दी है। दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को गिरफ्तार किया था।
कानून के अनुसार, यूएपीए के तहत किसी भी आरोपी पर मुकदमा चलाने से गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी आवश्यक है। पुलिस ने इन दंगों के संबंध में 15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। पुलिस के मुताबाकि, उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज मामले में हमें अभियोजन की मंजूरी मिल चुकी है। जल्द ही पूरक चार्जशीट दायर की जाएगी।
पिछले महीने दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद उमर खालिद की न्यायिक हिरासत अवधि 20 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी थी। इसके साथ ही अदालत ने जेल प्रशासन को जेल के अंदर खालिद की सुरक्षा का ध्यान रखने को कहा था। अदालत ने आरोपी खालिद को भी कहा कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर जेल प्रशासन द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर सहयोग करे।
बता दें दिल्ली पुलिस की स्पेश्ल सेल द्वारा अदालत को बताया गया था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्रदायिक दंगे सोची-समझी साजिश के तहत हुए थे। सेल का कहना था कि अपराध शाखा ने इस साजिश की जानकारी 6 मार्च 2020 को सेल को दी थी। इसके बाद सेल ने दंगों की साजिश की अलग से जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि खालिद के अलावा इस साजिश में बहुत सारे अलग-अलग समूह भी शामिल थे। इस मामले में सेल पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, उमर खालिद, शरजील इमाम आदि लोगों को अब तक गिरफ्तार कर चुकी है।
यूएपीए के तहत देश और देश के बाहर गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के मकसद से बेहद सख्त प्रावधान किए गए। 1967 के इस कानून में पिछले साल सरकार ने कुछ संशोधन करके इसे कड़ा बना दिया।