केंद्रीय मंत्रियों ने बुधवार को विनायक दामोदर सावरकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि वीर सावरकर की "साहस, देशभक्ति और प्रतिबद्धता" की विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया, "महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। साहस, देशभक्ति और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता की उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।"
इस बीच, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रहलाद जोशी और जेपी नड्डा ने भी वीर सावरकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। "वीर सावरकर की जयंती पर हम उन्हें एक निडर देशभक्त, दूरदर्शी विचारक और क्रांतिकारी के रूप में याद करते हैं। उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके साहसिक विचार आज भी उन लोगों को प्रेरित करते हैं जो न्याय, साहस और वीरता के लिए खड़े है।केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि वीर सावरकर भारत की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय पुनर्जागरण के मजबूत प्रहरी थे।
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "मां भारती के समर्पित सपूत, सच्चे देशभक्त व महान विचारक, स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर जी की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि। वीर सावरकर भारत की स्वतंत्रता व राष्ट्रीय पुनर्जागरण के सशक्त प्रहरी थे। कालापानी की क्रूर यातनाएं झेलने के बावजूद वे जीवनपर्यंत अडिग संकल्प के साथ राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे। अंग्रेजी हुकूमत की असहनीय यातनाएं भी देश को आजाद कराने के उनके संकल्प को डिगा नहीं सकीं। उनका अमर बलिदान व संघर्षपूर्ण जीवन दर्शन युगों-युगों तक प्रत्येक देशभक्त को प्रेरित करता रहेगा।"
शिवराज सिंह चौहान की 'एक्स' पोस्ट में कहा गया, 'भारत माता के सच्चे सपूत स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर मैं उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। राष्ट्र के लिए आपका बलिदान और संघर्ष हम सभी को अनंत काल तक मातृभूमि की सेवा करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।'
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीर सावरकर को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें "भारत माता का सच्चा सपूत" कहा।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में वीर सावरकर के योगदान की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राष्ट्र उनके अदम्य साहस और संघर्ष को कभी नहीं भूलेगा। उन्होंने कहा कि देश के लिए सावरकर का त्याग और समर्पण एक विकसित भारत के निर्माण का मार्गदर्शन करता रहेगा।"भारत माता के सच्चे सपूत वीर सावरकर जी को उनकी जयंती पर सादर श्रद्धांजलि। विदेशी सरकार की कठोर यातनाएं भी उनकी भारत के प्रति भक्ति को डिगा नहीं सकीं।"
विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है, का जन्म 28 मई, 1883 को नासिक में हुआ था। सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील और लेखक थे और उन्हें 'हिंदुत्व' शब्द गढ़ने के लिए जाना जाता था।सावरकर 'हिंदू महासभा' के भी एक अग्रणी व्यक्ति थे। सावरकर ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना तब शुरू किया जब वह हाई स्कूल के छात्र थे और फर्ग्यूसन कॉलेज पुणे में पढ़ते हुए भी उन्होंने ऐसा जारी रखा।
वे राष्ट्रवादी नेता लोकमान्य तिलक से बहुत प्रभावित थे। यूनाइटेड किंगडम में कानून की पढ़ाई के दौरान वे इंडिया हाउस और फ्री इंडिया सोसाइटी जैसे समूहों के साथ सक्रिय रहे।
उन्होंने ऐसी पुस्तकें भी प्रकाशित कीं जिनमें सम्पूर्ण भारतीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए क्रांतिकारी तरीकों को बढ़ावा दिया गया।ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारियों ने उनकी एक कृति 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस' को गैरकानूनी घोषित कर दिया था, जो 1857 के 'सिपाही विद्रोह' या प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बारे में थी।