उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर से बलात्कार और अपहरण का केस वापस लेने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शाहजहांपुर में इसकी जानकारी दी। लखनऊ में सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि हालांकि सरकार ने केस वापस लेने का फैसला ले लिया है पर मामले पर आखिरी निर्णय कोर्ट द्वारा ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी को केस वापस लेने पर कोई आपत्ति हो तो वह इसे कोर्ट में चुनौती दे सकता है।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार इस आशय का सरकार का पत्र छह मार्च को जिला प्रशासन को भेज दिया गया है। इसके बाद शाहजहांपुर प्रशासन ने नौ मार्च को इस केस के अभियोजन अधिकारी को इसे वापस लेने को लिखा। शाहजहांपुर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (प्रशासन) सर्वेश दीक्षित ने बताया कि सरकार द्वारा केस वापस लिए जाने के फैसले के बाद अभियोजन अधिकारियों ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह केस कोतवाली पुलिस स्टेशन में दर्ज है।
दूसरी ओर, बलात्कार पीड़ित ने राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और जिला न्यायाधीश को पत्र लिखकर सरकार के इस कदम का विरोध किया है। उन्होंने आरोपी के खिलाफ तत्काल वारंट जारी करने की मांग की है। पत्र में पीड़ित ने लिखा है कि मुख्यमंत्री योगी इस साल 25 फरवरी को शाहजहांपुर दौरे के दौरान आरोपी के घर गए थे और वहां दोपहर का भोजन किया था।
पूर्व मंत्री पर उनके आश्रम में कई साल तक रहने वाली महिला की शिकायत पर 30 नवंबर 2011 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि उसे हरिद्वार के आश्रम में रखा गया था और वहां पूर्व मंत्री ने उसके साथ बलात्कार किया था। शाहजहांपुर के कोतवाली पुलिस स्टेशन में उसके पिता ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके बाद चिन्मयानंद हाइकोर्ट चले गए थे जहां से उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद से यह केस लंबित है।