मेरठ के वैलेंटिस कैंसर हॉस्पीटल ने मुस्लिम मरीजों के लिए कोविड-19 के टेस्ट की शर्त लगाकर इलाज में कोई भी भेदभाव न करने के एथिकल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन किया। बाद में मामला तूल पकड़ते देख अस्पताल प्रबंधन ने माफीनामा जारी कर दिया। मेरठ पुलिस ने इस मामले में केस रजिस्टर किया है लेकिन मेडिकल काउंसिल ने अभी तक इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया है।
अस्पताल ने लगाई थी भेदभावपूर्ण शर्त
मेरठ के वैलेंटिस कैंसर हॉस्पीटल ने बाकायदा एक अखबार में विज्ञापन जारी करके कहा था कि अस्पताल नए मुस्लिम मरीजों का इलाज तभी करेगा जब वह और उसका तीमारदार कोरोना वायरस का टेस्ट करवाकर आएं और उनकी रिपोर्ट निगेटिव हो। अस्पताल ने कहा कि उसका यह नियम तब तक लागू रहेगा, जब तक कोरोना वायरस का संक्रमण खत्म नहीं हो जाता है। इसके बाद मेरठ के जिला प्रशासन ने अस्पताल से माफी मांगने को कहा है, अन्यथा उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया जाएगा। न्यूज एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक मेरठ के मुख्य चिकित्साधिकारी राज कुमार ने रविवार को कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव करके अस्पताल ने नैतिक नियमों का उल्लंघन किया है। हम अस्पताल को नोटिस जारी करेंगे और उसे माफी जारी करनी होगी।
अस्पताल का माफीनामा, पुलिस केस दर्ज
सोमवार को अस्पताल ने माफीनामा जारी कर दिया। न्यूज एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक अस्पताल के रेडियोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. अमित जैन ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सभी लोगों से अपील करने के लिए विज्ञापन छपवाया था। किसी धर्म विशेष के लोगों से कोई लेना-देना नहीं है। विज्ञापन के कुछ शब्दों से लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है, उसके लिए हम माफी मांगते हैं। अस्पताल ने मामले के तूल पड़ने पर माफीनामा जारी करके अपनी करतूत को हल्का करने का प्रयास किया है। लेकिन पुलिस ने उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दिया है। मेरठ के एसएसपी अजय कुमार साहनी ने कहा कि हमने केस दर्ज किया है। उपलब्ध सबूतों के अनुसार हम कार्रवाई कर रहे हैं।
यूपी काउंसिल का ढीला-ढाला रवैया
लेकिन डॉक्टरों के द्वारा एथिकल कोड ऑफ कंडक्ट का पालन सुनिश्चित कराने के लिए जिम्मेदारी मेडिकल काउंसिल इस मामले में कोई कार्रवाई करती नहीं दिख रही है। यूपी मेडिकल काउंसिल के प्रेसीडेंट डॉ. के. के. गुप्ता से जब इस मामले में बात की तो उन्होंने इस मामले की कोई जानकारी होने से ही इन्कार कर दिया। उनका कहना था कि अभी पूरे यूपी में लॉकडाउन चल रहा है, इसलिए कार्यालय नहीं खुल रहे हैं। हमें जानकारी मिलेगी तो वे काउंसिल में मामले पर विचार करेंगे। इस मामले में यूपी मेडिकल काउंसिल के ही रजिस्ट्रार डा. राजेश जैन से जब आउटलुक ने बात की तो उन्होंने भी घटना की जानकारी से इन्कार कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई शिकायत आएगी, तभी काउंसिल मामले पर विचार कर सकेगी। मेडिकल काउंसिल ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर कोई संज्ञान नहीं लिया है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के एक पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि एमसीआइ की एथिक्स कमेटी ऐसे मामलों की शिकायत मिलने पर जांच कर सकती है और नियम के अनुसार कार्रवाई कर सकती है।
क्या कहते हैं एथिकल रूल्स
इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 के अनुसार प्रोफेशनल कंडक्ट, एटीकेट एंड एथिक्स रेगुलेशन, 2002 के मुताबिक कोई भी डॉक्टर मरीजों के इलाज में किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है। कोई डॉक्टर इसका उल्लंघन करता है तो एथिक्स कमेटी डॉक्टर के खिलाफ जांच करती है और जांच में आरोप सही पाए जाने पर उसका रजिस्ट्रेशन सीमित अवधि या हमेशा के लिए रद्द कर सकती है।