एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर विवाद लगातार जारी है। इस बीच दलित संगठन के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को खून से पत्र लिखकर अध्यादेश द्वारा कानून बनाने और एक्ट को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
ये मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले का है, जहां भारतीय दलित पैंथर पार्टी के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को खून से पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा, 'महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जी भारत सरकार, एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 को संसद में अध्यादेश द्वारा कानून बनाकर उक्त अधिनियम को फिर से पहले की स्थिति में बहाल किया जाए।'
#Kanpur: Member of Bhartiya Dalit Panthers Party writes a letter to the PM & the President with blood over SC/ST (Prevention of Atrocities) Act issue, other members also paid tributes to those who died in violence during #BharatBandh protests. pic.twitter.com/ksymMQhng0
— ANI UP (@ANINewsUP) April 5, 2018
ये था सुप्रीम कोर्ट का फैसला-
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी-एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी के बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे की कार्रवाई की जाए।