उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने बुधवार को मदरसों के आधुनिकीकरण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि राज्य सरकार मुस्लिम बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा चाहती है ताकि उनका उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित हो सके।शम्स ने सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू होने से बच्चे सिर्फ धार्मिक ग्रंथों तक सीमित नहीं रहेंगे,बल्कि इससे मुस्लिम बच्चों का उज्ज्वल भविष्य भी सुनिश्चित होगा।उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का उद्देश्य किसी विशेष धर्म को निशाना बनाना नहीं है।उन्होंने कहा, "हम आधुनिक मदरसों की अवधारणा दे रहे हैं, जो धामी सरकार की इच्छा को दर्शाता है। राज्य सरकार चाहती है कि मुस्लिम बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का पालन किया जाए। राज्य सरकार मुस्लिम बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा चाहती है और उन्हें सिर्फ धार्मिक पुस्तकों तक सीमित नहीं रखना चाहती है ताकि वे अपना भविष्य बना सकें।
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने मदरसे खोलने के मानदंडों पर स्पष्टता की आवश्यकता पर बल दिया।
मदरसों को सील करने के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने पर प्रतिक्रिया देते हुए शम्स ने कहा, "यह लोकतंत्र है और याचिका दायर करना उनका अधिकार है, लेकिन साथ ही उन्हें मदरसा खोलने के मानदंडों के बारे में भी बताना चाहिए। मदरसा खोलने के लिए कुछ सीमाएं और मानदंड होने चाहिए।"
इससे पहले 21 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर हरिद्वार प्रशासन ने उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड या शिक्षा विभाग के तहत अपंजीकृत मदरसों पर कार्रवाई की थी।