भारतीय जनता पार्टी की नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात निधन हो गया। दिल्ली के एम्स में सुषमा ने अंतिम सांस ली। वह 67 वर्ष की थीं। मोदी सरकार में विदेश मंत्री का पद संभालने के बाद सुषमा स्वराज ने कई ऐसे लोगों की मदद की, जोकि किसी न किसी वजह से अपने परिवार और वतन से दूर किसी दूसरे देश में जा फंसे और अपने परिवार के पास आने की हर कोशिशों में नाकाम रहे, जिसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उन्हें उनके परिवार और वतन तक पहुंचाने या ये कहें कि उन्हें उनके अपनों तक पहुंचाने में मदद की। आज सुषमा के निधन पर आज से चार साल पहले अपने वतन लौटी मूक-बधिर गीता, हैदराबद की जैनब बेगम और अन्य लोगों ने अपने-अपने तरीकों से उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दी।
मूक-बधिर गीता ने इशारों में कहा कि पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के गुजर जाने से उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि उसकी खैरियत के बारे में वह "एक मां की तरह" हमेशा चिंता करती थीं। गलती से सीमा लांघने के कारण गीता करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी। स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण ही वह 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौट सकी थी। इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही गैर सरकारी संस्था "मूक-बधिर संगठन" के आवासीय परिसर भेज दिया गया था। तब से वह मध्यप्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और नि:शक्त कल्याण विभाग की देख-रेख में इसी परिसर में रहकर पढ़ाई कर रही है।
यहां देखें गीता ने कैसे इशारों में जाहिर किया दर्द
सउदी अरब से सुरक्षित वतन लौटीं जैनब बेगम का यूं झलका दर्द
बुधवार सुबह दी गई गीता को सुषमा स्वराज के निधन की खबर
परिसर के छात्रावास के वॉर्डन संदीप पंडित ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया, "स्वराज के निधन की खबर गीता को बुधवार सुबह दी गई। वह तब से बेहद दु:खी है और रोए जा रही है। हम उसे ढांढ़स बंधा रहे हैं।" पंडित के मुताबिक गीता ने इशारों में कहा कि स्वराज के निधन के बाद उसे ऐसा लग रहा है कि उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि वह उसके कुशल-क्षेम के बारे में एक मां की तरह हमेशा चिंता करती थीं।
छात्रावास के वॉर्डन ने बताया, "गमजदा गीता ने इशारों की जुबान में कहा कि उसकी छोटी-बड़ी समस्याओं के बारे में स्वराज उससे सीधे बात करती थीं। वर्ष 2015 में गीता की स्वदेश वापसी के बाद उसकी दिल्ली और इंदौर में स्वराज से कई बार मुलाकात भी हो चुकी है।"
वीडियो कॉलिंग के जरिए गीता से मुखातिब होती रहीं सुषमा स्वराज
पंडित ने बताया, "स्वराज वीडियो कॉलिंग के जरिए भी गीता से समय-समय पर मुखातिब होती थीं और उसकी पढ़ाई की प्रगति के बारे में पूछती थीं।" अधिकारियों के मुताबिक अब तक देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं, लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर लड़की पर दावा साबित नहीं हो सका है। उसके माता-पिता की खोज का अभियान जारी है।
सुषमा ने गीता को बताया था "हिंदुस्तान की बेटी"
गीता से स्वराज का गहरा भावनात्मक लगाव था। तत्कालीन विदेश मंत्री ने गत 20 नवंबर को इंदौर में मीडिया से बातचीत के दौरान गीता को "हिंदुस्तान की बेटी" बताते हुए कहा था, "भारत में गीता के परिवारवाले मिलें या न मिलें, वह दोबारा पाकिस्तान कभी नहीं भेजी जायेगी। उसकी देखभाल भारत सरकार ही करेगी।"
गीता को करीब 20 साल पहले पाकिस्तान रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था। मूक-बधिर लड़की की उम्र उस समय कथित तौर पर सात या आठ साल की थी। भारत वापसी से पहले वह कराची के परमार्थ संगठन "ईदी फाउंडेशन" के आश्रय स्थल में रही थी।