Advertisement

वीके सिंह ने मेरा प्रमोशन रोका था: जनरल दलबीर सिंह सुहाग

भारतीय सेना के कमांडर दलबीर सिंह सुहाग ने अपने पूर्ववर्ती जनरल और वर्तमान केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह पर यह कहते हुए हमला बोला है कि उन्होंने जानबूझकर उनकी पदोन्नति रोकी। यह पहला वाकया है जब किसी पदासीन सेना प्रमुख ने अपने पूर्ववर्ती और वर्तमान केंद्रीय मंत्री के खिलाफ बोला हो। भारतीय थल सेना के मौजूदा प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने जनरल वीके सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उनके प्रमोशन को जानबूझकर रोका था। उन्होंने कहा कि वीके सिंह ने रहस्यमय तरीके और दुर्भावनापूर्ण इरादे से जानबूझकर उनके प्रमोशन को रोक कर रखा था। सुहाग ने कहा कि वीके सिंह ने यह सजा उन्हें असंगत वजहों से दी थी।
वीके सिंह ने मेरा प्रमोशन रोका था: जनरल दलबीर सिंह सुहाग

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुहाग ने एक शपथपत्र दाखिल किया। इस शपथपत्र में उन्होंने कहा है कि 2012 में उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ वीके सिंह ने सताया था। सुहाग ने कहा कि वीके सिंह का मुख्य उद्देश्य आर्मी कमांडर की नियुक्ति से रोकना था। दलबीर सिंह सुहाग ने शपथपत्र में कहा है, '19 मई, 2012 को मेरे ऊपर कारण बताओ नोटिस में फर्जी, बेबुनियाद और काल्पनिक आरोप लगाए गए। मेरे ऊपर अवैध रूप से अनुशासनिक और सतर्कता बैन थोपा गया।' लेफ्टिनेंट जनरल रवि दास्ताने ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि दलबीर सिंह सुहाग को आर्मी कमांडर बनाने में पक्षपात किया गया था ताकि उन्हें बिक्रम सिंह के बाद आर्मी चीफ बनाया जा सके।
कमांड और कंट्रोल में नाकामी का आरोप लगा अप्रैल और मई 2012 में वीके सिंह ने दलबीर सिंह सुहाग पर डिसिप्लिन और विजिलेंस बैन लगाया था। 2011 में 20 और 21 दिसंबर की रात दलबीर सिंह सुहाग ने असम के जोरहाट में एक ऑपरेशन चलाया था। इसमें तीन कोर इंटेलिजेंस और सर्विसलांस यूनिट शामिल थी। इस ऑपरेशन को लेकर ही दलबीर सिंह के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वाइरी का आदेश दिया गया था।
दलबीर सिंह दीमापुर में 3 कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग थे। उन्होंने अपने शपथपत्र में जोरहाट ऑपरेशन का हवाला देते हुए कहा है कि वह उस दिन वार्षिक छुट्टी तहत ऑपरेशन से अलग थे। उन्होंने 26 दिसंबर 2011 को फिर से काम संभाला था। 15 जून, 2012 को इस्टर्न कमांड में जीओसी-इन-सी के रूप में दलबीर सिंह के प्रमोशन को जनरल बिक्रम सिंह ने हरी झंडी दे दी थी। वीके सिंह के रिटायरमेंट के बाद 31 मई, 2012 को दलबीर सिंह से बैन भी हटा दिया गया था।
इस प्रमोशन में देरी के कारण आर्मी कमांडर का पद 15 दिनों तक खाली रहा था। इसे सुप्रीम कोर्ट में दास्ताने ने चुनौती दी थी। दास्ताने ने दावे के साथ कहा था कि वह आर्मी कमांडर के योग्य थे लेकिन जनरल बिक्रम सिंह ने ऐसा नहीं होने दिया और उन्होंने दलबीर सिंह सुहाग का पक्ष लिया। ऐसा तब किया गया जबकि दलबीर सिंह सुहाग पर बैन लगा था। फरवरी 2012 में जब दास्ताने, दलबीर सिंह सुहाग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए तब वीके सिंह सरकार से उम्र को लेकर अपना मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय में हार गए थे। सर्टिफिकेट पर उम्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट से वीके सिंह ने सरकार के खिलाफ अपनी याचिका वापस ले ली थी।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad