फर्नीचर बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी आइकिया समूह ने गुरुवार को हैदराबाद में पहला स्टोर शुरू किया। भारत में आइकिया का स्टोर खुलने के साथ ही भारी संख्या में ग्राहकों की भीड़ जमा हो गई। भीड़ इतनी ज्यादा है कि वहां भगदड़ की स्थिति बन गई। कंपनी ने भारतीय ग्राहकों को विकल्पों की एक नई दुनिया प्रदान की है, जहां से वे अपने घर को सजाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले फर्नीचर पा सकते हैं और यह सब किफायती कीमत पर मिलेगा।
कंपनी ने कहा कि वह यहां किफायती सामानों पर जोर दे रही है। इसी कारण उसके कुल 7,500 उत्पादों में से एक हजार से अधिक सामान 200 रुपये से कम के होंगे। इस स्टोर में स्वीडन की प्रमुख वैश्विक होम फर्निशिंग रिटेलर (Swedish home furnishing brand) आइकिया के स्टोर में लिविंग रूम से लेकर डायनिंग रूम तक और बच्चों के रूम से लेकर कार्यस्थलों तक के लिए हर प्रकार के फर्नीचर से लेकर आंतरिक साजसज्जा के सामान मौजूद हैं और इनमें से कई ऐसे उत्पाद हैं जो इससे पहले भारत में नहीं देखे गए हैं।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, स्टोर में पहले ही दिन लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। स्टोर के बाहर भगदड़ जैसी स्थिति हो गई। इसका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि किस तरह स्टोर के बाहर लोगों की भारी भीड़ दिख रही है। स्थिति ये हो गई कि पुलिस को वहां यातायात प्रतिबंधित करना पड़ा।
यहां देखें वीडियो-
गुरुवार को हैदराबाद में खुला आइकिया स्टोर
आइकिया रिटेल इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटी बेत्जेल ने कहा कि इस पहले स्टोर में 950 कर्मचारी होंगे जिनमें करीब आधी महिलाएं होंगी। ब्रॉडिन ने कहा, भारत हमारे लिए महत्वपूर्ण बाजार है और हमारे पास यहां के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धताएं हैं। कंपनी ने कहा कि उसकी योजना देश के 40 शहरों में स्टोर शुरू करने की है। हैदराबाद के बाद मुंबई स्टोर 2019 की गर्मियों तक तैयार हो जाएगा। इसके बाद बेंगलूरू और गुरुग्राम में स्टोर शुरू होंगे।
आइकिया ने कहा है कि उसके पास लिमिटेड पार्किंग स्पेस है। इसके लिए उसने बाहर कई जगह पार्किंग की व्यवस्था कराई है। कस्टमर के लिए उसने शटल सर्विस भी शूरू की है, जो कि आने और जाने दोनों की सुविधा देगा। इसके बावजूद वहां इतनी भीड़ जुट गई कि यातायात प्रतिबंधित करना पड़ा।
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेस्पर ब्रॉडिन ने भारत में पहले स्टोर की खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भारत को स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन देना चाहिए लेकिन शुल्क बढ़ाकर आयात को दंडित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयात पर शुल्क बढ़ाने से सिर्फ यह होगा कि उपभोक्ताओं को उसकी अधिक कीमत चुकानी होगी। लेकिन यह जरूरी नहीं कि ऐसा होने से स्थानीय विनिर्माण दक्षता बढ़ेगी। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि आयात पर कर बढ़ाने के बजाय स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन देना बेहतर है।