भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के तहत गुरुनानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर्व के पूर्व 9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होने जा रहा है। भारतीय सिख श्रध्दालुओं के लिए यह बड़ी बात है लेकिन पाकिस्तान की ओर से करतारपुर कॉरिडोर का इस्तेमाल करने के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता को लेकर स्थिति अब भी असमंजस से भरी बनी हुई है। दरअसल, पाकिस्तान की ओर से लगातार विरोधाभासी बयान सामने आ रहे है। पहले पाक की ओर से कहा गया कि श्रद्धालुओं को पासपोर्ट की जरुरत नहीं रहेगी, बाद में बयान बदलकर कहा गया कि हर श्रध्दालु के लिए पासपोर्ट अनिवार्य रहेगा। हालांकि भारत ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि पासपोर्ट जरूरी होगा। इसके लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे।
गुरुवार को एक बार फिर पाकिस्तान की ओर से एक नया बयान सामने आया। इसमें पाकिस्तान मीडिया के हवाले से कहा गया है कि आर्मी के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा है कि करतारपुर कॉरिडोर का उपयोग करने के लिए भारतीय सिख श्रध्दालुओं के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता रहेगी।
भारत ने दिया स्पष्टीकरण, कहा- पासपोर्ट अनिवार्य
पाकिस्तान की ओर से करतारपुर कॉरिडोर के इस्तेमाल को लेकर सामने आ रहे विरोधाभासी बयान के बाद आज भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर स्पष्टीकरण दिया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'पाकिस्तान की ओर से आ रहीं रिपोर्ट्स विरोधाभासी हैं। कभी वह कहते हैं कि पासपोर्ट जरुरी है और कभी कहते हैं कि इसकी जरुरत नहीं है। हमें लगता है कि वहां विदेश मंत्रालय और अन्य एजेंसियों के बीच मतभेद हैं। हमने एक एमओयू साइन किया है, यह नहीं बदला गया है। इसके मुताबिक करतारपुर कॉरिडोर के इस्तेमाल के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता है।'
‘किए गए एमओयू पर हस्ताक्षर’
रवीश कुमार ने आगे कहा, 'हमें पता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जिसमें साफ तौर पर बताया गया है कि श्रध्दालुओं को कौन से दस्तावेज साथ लाना अनिवार्य रहेंगे। इस वर्तमान एमओयू में एकतरफा बदलाव नहीं किया जा सकता है। इसमें दोनों पक्षों की सहमति जरुरी है।'