सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे जज काम करें। हमें जजों, कोर्ट रूम और लोगों की जरूरत है। इसके लिए लोक सेवा आयोग, हाई कोर्ट और राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं।
देश में उच्च और अधीनस्थ अदालतों में जजों की भर्ती मामलों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने यह बात कही। इससे पहले भी चीफ जस्टिस जजों की भर्ती को लेकर चिंता जता चुके हैं।
भर्ती प्रक्रिया को सेंट्रलाइज करने की दी थी चेतावनी
चीफ जस्टिस ने देशभर में जजों की भर्ती की बेहद सुस्त रफ्तार पर सभी राज्यों और हाई कोर्ट से कहा था कि उनकी तरफ से इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताएं। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से चेतावनी देते हुए कहा गया कि अगर वे तेजी के साथ ऐसा नहीं करते हैं तो जजों की भर्ती प्रक्रिया सेंट्रलाइज कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा महसूस किया कि जजों की भर्ती प्रक्रिया को गंभ्ाीरता से नहीं लिया जा रहा है।
अदालतों में लंबित हैं करोड़ों मुकदमे
अक्टूबर में चीफ जस्टिस का पदभार संभालने के पहले ही दिन उन्होंने कहा था कि बेशक उनकी अदालत में सुनवाई के लिए कम मुकदमे लगे हों, लेकिन देश भर की अदालतों में लंबित 2.77 करोड़ मुकदमें नये मुखिया की नयी योजना का इंतजार कर रहे होंगे। इन मुकदमों में 13.97 लाख मुकदमें वरिष्ठ नागरिकों के हैं और 28.48 लाख मुकदमें महिलाओं ने दाखिल कर रखे हैं।
देश में जिला और अधीनस्थ कोर्ट मिलाकर कुल 18,400 अदालते हैं। अगर निचली अदालत के सभी खाली जजों को नियुक्त कर दिया जाए तो भी देश में चार हजार कोर्ट रूम की कमी है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष में 2370 कोर्ट बनाई लेकिन अभी भी जिला और अधीनस्थ अदालतों में 57 सौ से ज्यादा पद रिक्त हैं जिसे जल्द भरना होगा। मौजूदा समय में देश्ा में कुल 16728 जुडीशियल ऑफिसर्स हैं जबकि इनकी संख्या 22,474 होनी चाहिए।