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#TalkToAMuslim पर क्यों बंटा हुआ है सोशल मीडिया?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने...
#TalkToAMuslim पर क्यों बंटा हुआ है सोशल मीडिया?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी बताया था। भाजपा ने इसके लिए इंकलाब नाम के एक अखबार का हवाला दिया था और कहा था कि उन्होंने मुस्लिम बुद्धिजीवियों की एक मीटिंग में यह बात कही। कांग्रेस के कई नेताओं और मीटिंग में मौजूद लोगों ने भाजपा के इस दावे से इनकार किया।

वहीं, जैसा कि होता है ट्विटर पर इसे लेकर एक अभियान शुरू हो गया। हैशटैग टॉक टू अ मुस्लिम #TalkToAMuslim. इसे घर वापसी, लव जिहाद, मॉब लिंचिंग जैसी चीजों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द्र और मुसलमानों के प्रति लोगों के पूर्वाग्रह को दूर करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मॉब लिंचिंग पर रोक लगाने के लिए संसद से कानून बनाने को कहा।

कई बुद्धिजीवी, पत्रकार, सिनेमा जगत के लोग इसमें भाग ले रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी लोग इसे लेकर एकमत हैं। सोशल मीडिया इस हैशटैग पर बंटा हुआ है। कई लोग यह भी कह रहे हैं कि मुस्लिमों को इस तरह अलग से ट्रीट करने की क्या जरूरत है?

सवाल ये है कि क्या ट्विटर युग में इससे समस्या का हल निकल जाएगा? क्या ये आगे जाकर टॉक टू अ दलित, टॉक टू अ ओबीसी में बदल जाएगा? समस्या की जड़ें दूसरी और गहरी हैं, जो हैशटैग और हाथ में प्लेकार्ड लेकर फोटो खिंचा लेने से नहीं सुलझतीं।

सीपीआई (एमएल) की कविता कृष्णन कहती हैं कि यह सही हैशटैग नहीं है। मुझे लगता है कि जमीनी स्तर पर अभियान चलाने से, स्कूली बच्चों, पड़ोसियों, समुदायों को शामिल कर बाधाओं को पार करना और एक दूसरे को जानना, समझना, पूर्वाग्रह को नष्ट करना ज्यादा जरूरी है।

समर्थन में उतरे लोग- 

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