सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में आईपीएस अधिकारियों को आरोप मुक्त किए जाने के फैसले को सीबीआई चुनौती नहीं देगी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने सोमवार को यह बात बॉम्बे हाई कोर्ट में कही। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे की एकल पीठ सोहराबुद्दीन के भाई रूबाबुद्दीन की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रही है।
सीबीआई के वकील संदेश पाटिल और अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि मामले में कुछ कनिष्ठ अधिकारियों को आरोप मुक्त किए जाने के फैसले को अदालत पहले ही चुनौती दे चुकी है। हालांकि, सोहराबुद्दीन शेख और उसके साथ्ाी तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में गुजरात के पूर्व पुलिस उप महानिरीक्षक डी जी वंजारा, राजस्थान के आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन और गुजरात के आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन समेत वरिष्ठ अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती नहीं देने का फैसला किया गया है।
रूबाबुद्दीन ने इन अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है। निचली अदालत ने 2016 और 2017 में पांडियन, वंजारा और दिनेश एमएन को आरोप मुक्त कर दिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील गौतम तिवारी ने बताया कि वे दिनेश एमएन और पांडियन को नोटिस दे चुके हैं। लेकिन, वंजारा का पता या संपर्क विवरण पाने में नाकाम रहे हैं। अदालत ने इससे पहले सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता को वंजारा का पता प्रदान करे, लेकिन तिवारी ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें गलत पता दिया था।
अदालत ने सोमवार को सीबीआई को निर्देश दिया कि वह वंजारा का पता लगाए और उन्हें अगली सुनवाई पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दें। मुंबई में विशेष सीबीआई अदालत ने तीनों अधिकारियों को इस आधार पर आरोप मुक्त कर दिया था कि जांच एजेंसी उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति या विशेष अनुमति पाने में विफल रही। सुप्रीम काेर्ट द्वारा मामले की सुनवाई गुजरात के बाहर स्थानांतरित करने का आदेश के बाद विशेष सीबीआई अदालत इस मामले पर सुनवाई कर रही है।