हम धरती से उतना ही ग्रहण करें जितनी हमें जरूरत है। मानव की अनाप-शनाप गतिविधियों का धरती और पर्यावरण पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हवा, पानी, भोजन सब प्रदूषण की चपेट में आ चुके हैं। इसलिए यह जरूरत की मांग है कि हम 'सादा जीवन उच्च विचार' के रास्ते पर चलें। कि अगर हमने धरती को नहीं बचाया तो हम खुद भी नहीं बचेंगे। वर्ल्ड अर्थ डे के अवसर पर ब्रह्मकुमारी सिस्टर जयंती ने यह बात कही।
सिस्टर जयंती ने कहा कि अगर इंसान को अपना जीवन बचाए रखना है तो धरती का महत्व बनाए रखना होगा। मिट्टी, पानी, वृक्षों को बचाना होगा। यह अनुचित है कि हम जिन नदियों की पूजा करते हैं, उन्हीं को प्रदूषित भी करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें पौधे लगाने के साथ ऊर्जा के नए स्रोतों का इस्तेमाल करना होगा। इसकी जिम्मेदारी सिर्फ सरकार पर भी नहीं है। हम भी अपने स्तर पर घरों में सोलर पैनल और सोलर कुकर जैसी चीजें लगा लगा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि धरती के स्रोत सीमित हैं, लेकिन उनका दोहन सारी सीमाएं पार कर रहा है। हम हमेशा धरती से प्राप्त करते आए हैं। हमने कभी यह नहीं सोचा कि हम धरती को वापस क्या दे रहे हैं। लेकिन अब इसके बारे में सोचना ही होगा। पानी की बर्बादी रोकें और उसे ज्यादा से ज्यादा रिसाइकिल करें।