सिन्हा के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने हैदरपोरा इलाका स्थित गिलानी के आवास पर उनसे मुलाकात की। गिलानी के साथ बैठक से पहले सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया कि वे यहां किसी शिष्टमंडल के रूप में नहीं आए। उन्होंने कहा, हमलोग सद्भावना और मानवता के आधार पर यहां आए हैं। इसका लक्ष्य लोगों के दुख दर्द और कष्टों को साझा करना है। अगर हम ऐसा कर सके तो खुद को धन्य महसूस करेंगे।
दल के मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासिन मलिक जैसे अन्य अलगाववादी नेताओं से मिलने के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि वे हर किसी से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। दौरे के समय को लेकर सवाल पूछे जाने पर पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, यह बहुत शाश्वत प्रश्न है कि आपने ऐसा पहले क्यों नहीं किया। हमलोग इसे काफी उपयुक्त समय पर कर रहे हैं।
अलगाववादियों से कोई आमंत्राण मिलने के संबंध में पूछे जाने पर सिन्हा ने बताया, हमें कोई आमंत्राण (गिलानी से) नहीं मिला। हमने उन्हें आग्रह (बैठक के लिए) किया था और हम उन्हें देखने जा रहे हैं।
शिष्टमंडल के अन्य सदस्यों में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व एयर वाइस-मार्शल कपिल काक, पत्रकार भारत भूषण और सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकान्सिलिएशन की सुशोबा बर्वे शमिल थे।
बहरहाल, शिष्टमंडल का उदारवादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस नेता मीरवाइज उमर फारूक से भी मिलना निर्धारित है। मीरवाइज को कल रात चश्मा-साहिब उप-जेल से रिहा किया गया। उन्हें 27 अगस्त से ही इसी जेल में रखा गया था। घाटी में जब से अशांति शुरू हुई तब से गिलानी, मीरवाइज और जेकेएलएफ प्रमुख यासिन मलिक ने संयुक्त रूप से साप्ताहिक विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम जारी किया है।
भाषा