भारत बृहस्पतिवार को प्रकाशित ‘वैश्विक प्रसन्नता रिपोर्ट 2025’ में 118वें स्थान पर रहा, जबकि पिछले वर्ष वह 126वें स्थान पर था। हालांकि, इस वैश्विक प्रसन्नता (वर्ल्ड हैप्पीनेस) रिपोर्ट में उसका स्थान नेपाल, पाकिस्तान, यूक्रेन और फलस्तीन जैसे देशों से नीचे है।
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क ‘गैलप’ के साथ साझेदारी में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ‘वेलबीइंग रिसर्च सेंटर’ द्वारा प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट में तीन परोपकारी कार्यों - दान, स्वयंसेवा और अजनबियों की मदद करने - के लिए देश की रैंकिंग सांस्कृतिक और संस्थागत अंतर के आधार पर अलग-अलग होती है।
‘परोपकार के छह मानदंडों के लिए देशों की रैंकिंग’ के संदर्भ में भारत 118वें स्थान पर है, जबकि (लोगों द्वारा) दान देने के मामले में यह 57वें स्थान पर है, लोगों द्वारा स्वेच्छा से अंशदान करने के मामले में 10वें स्थान पर है, अजनबियों की मदद करने के मामले में यह 74वें स्थान पर है तथा किसी पड़ोसी द्वारा बटुआ लौटाने के मामले में 115वें स्थान पर है। वहीं, अजनबी द्वारा बटुआ लौटाने के मामले में 86वें तथा पुलिस द्वारा बटुआ लौटाने के मामले में 93वें स्थान पर है।
भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान को फिर से दुनिया का सबसे दुखी देश माना गया है, पिछले साल के 143वें स्थान (अंतिम) के मुकाबले इस साल वह 147वें स्थान पर है।
सूचकांक में प्रसन्नता के मामले में नेपाल 92वें स्थान (2024 में 93वें स्थान) और पाकिस्तान 109वें स्थान (2024 में 108वें स्थान) के साथ भारत से काफी ऊपर हैं।
वहीं, श्रीलंका 133वें स्थान (2024 में 128वें स्थान) और बांग्लादेश 134वें स्थान (2024 में 129वें स्थान) के साथ सूचकांक में भारत से नीचे हैं।
चीन इस साल 68वें स्थान पर है, जबकि पिछले साल वह 60वें स्थान पर था। फलस्तीन 108वें स्थान पर है (2024 में 103वां स्थान) जबकि यूक्रेन 111वें स्थान पर (2024 में 105वां स्थान) है ।
अमेरिका अब तक के अपने सबसे निचले पायदान (24) पर है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ऐसे कई तरीके हैं जिनसे हम एक-दूसरे की परवाह करते हैं और एक-दूसरे के साथ चीजें साझा करते हैं। शायद सबसे सार्वभौम उदाहरण भोजन साझा करना है। जो लोग अक्सर दूसरों के साथ भोजन करते हैं वे बहुत खुश रहते हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘अकेले भोजन करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या अमेरिका में लोगों की खुशहाली में गिरावट का एक कारण है।’’