12 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए बड़ी राहत की उम्मीद है। सरकार आठ साल पुरानी वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था की समीक्षा कर रही है। इसमें 12% कर स्लैब में आने वाली रोजमर्रा की चीजों पर कर कम करने की योजना है। इनमें मक्खन, घी, प्रोसेस्ड खाना, मोबाइल फोन, फलों का रस, अचार, जैम, नारियल पानी, छाता, साइकिल, टूथपेस्ट, जूते और कपड़े शामिल हैं। साथ ही, उच्च श्रेणी की वस्तुओं जैसे वातानुकूलक (एयर कंडीशनर) पर भी कर कम करने का प्रस्ताव है।
सरकार 12% कर स्लैब को पूरी तरह खत्म करने पर विचार कर रही है, जिससे कई चीजें 5% स्लैब में आ सकती हैं। इससे ये वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी। हालांकि, कुछ व्यावसायिक उत्पादों पर कर बढ़ सकता है ताकि राजस्व का नुकसान कम हो। सरकार का मानना है कि कर कम करने से उपभोक्ता मांग बढ़ेगी, जो लंबे समय में राजस्व की भरपाई कर सकती है।
जीएसटी काउंसिल में स्वास्थ्य बीमा और शुद्ध टर्म बीमा योजनाओं पर 18% कर को 12% करने का प्रस्ताव भी चर्चा में है। इससे बीमा पॉलिसीधारकों का बोझ कम होगा। बीमा कंपनियों ने इसकी मांग की है, लेकिन अंतिम फैसला अभी नहीं हुआ है।
राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए लगाया गया मुआवजा उपकर (Compensation Cess) मार्च 2026 में खत्म होगा। इसके बदले सरकार तंबाकू जैसी हानिकारक वस्तुओं पर नया उपकर लगाने की योजना बना रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली इस बैठक में स्थायी कर व्यवस्था पर जोर है, ताकि व्यापारियों और उपभोक्ताओं को स्पष्टता मिले। लेकिन, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य राजस्व नुकसान के डर से कर कटौती का विरोध कर रहे हैं। यह बैठक मध्यम वर्ग के लिए राहत भरी हो सकती है, पर राज्यों की सहमति जरूरी है।