ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में आज पहली बार जिला अदालत में सुनवाई पूरी हो गई है। वाराणसी कोर्ट ने फै़सला कल यानि मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रखा है।
मामले की सुनवाई से पहले कोर्टरूम के बाहर काफी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी। रस्सी की बैरिकेडिंग कर केवल पक्षकारों व अधिवक्ताओं को ही अंदर जाने की अनुमति मिली। सर्वे के लिए नियुक्त कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्र का नाम लिस्ट में नहीं होने पर लौटाया गया। कोर्ट के अंदर जाने के लिए जज की ओर से एक सूची पुलिस को दी गई है।इसी सूची के आधार पर वहां प्रवेश दिया गया।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई जिला जज को सौंपी थी। इस आदेश की कॉपी शनिवार को जिला जज अजय कुमार विश्वेश की अदालत में पहुंच गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जिला जज को 8 सप्ताह में पूरा करने को कहा है।
Gyanvapi Mosque matter | Hearing of the arguments complete, Varanasi court reserves the decision until tomorrow. #UttarPradesh
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 23, 2022
बता दें कि सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम के अंदर लोगों में लक्ष्मी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक, मोहम्मद तौदीद, अभय यादव मुस्लिम पक्ष के वकील, मेराज फारूकी, मुमताज अहमद, हिन्दू पक्ष के वकील मदन मोहन, रइस अहमद, हिन्दू पक्ष सुधीर त्रिपाठी, वरिष्ठ वकील मान बहादूर सिंह, विष्णु जैन, सुभाष चतुर्वेदी, सरकारी वकील महेंद्र प्रसाद पांडेय मौजूद रहे।
गौरतलब है कि शुक्रवार को, सुप्रीम कोर्ट ने दीवानी वाद को जिला न्यायाधीश, वाराणसी को स्थानांतरित करने का आदेश देते हुए कहा था कि "जटिलताओं" और "संवेदनशीलता" को देखते हुए, यह बेहतर है कि एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी जिसको 25-30 वर्षों से अधिक का अनुभव हो, इस मामले को देखे।
शीर्ष अदालत ने अपने टिप्पणी में यह भी कहा कि पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाने की प्रक्रिया 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के तहत प्रतिबंधित नहीं है।